प्रदेश में जंगली जानवरों के शिकारियों का फैला है जाल, इस बार बाघ के खाल के साथ पकड़े गए हैं शिकारी

0 बीते एक महीने में पकड़े गए 50 शिकारी
0 जंगली जानवरों की सुरक्षा क्यों नहीं कर पा रहा है वन अमला..?
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आये दिन जंगली जानवरों के शिकार और शिकारियों के पकड़े जाने की खबरें प्रकाश में आ रही हैं। दो दिन पहले ही छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर पर दुर्लभ जीव पैंगोलिन के साथ 3 शिकारी पकड़े गए थे। इस बार बाघ के खाल के साथ 7 शिकारियों को पकड़ा गया है। लगभग एक महीने से गरियाबंद जिले में शिकारियों को पकड़े जाने की मुहिम के तहत लगभग 50 शिकारियों को जंगली जानवरों के अवशेषों के साथ पकड़ा जा चुका है। सवाल यह उठता है कि जंगलों की सुरक्षा में लगा वन अमला इन शिकारियों से जानवरों को बचा क्यों नहीं पा रहा है ?
पुलिस के सहयोग से पकड़े गए शिकारी
गरियाबंद जिले में उदंती सीतानदी अभ्यारण्य की टीम द्वारा 3 जून से शिकारियों के खिलाफ चलाए गए अभियान को माह के खत्म होते-होते एक और बड़ी सफलता मिली है। यहां के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व के साथ चलाए गए सयुक्त अभियान में बीजापुर से 7 शिकारियों को बाघ के खाल के साथ गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है। इस कार्यवाही में इंद्रावती अभ्यारण्य के उपनिदेशक धम्मशील गनवीर के अलावा गरियाबंद पुलिस कप्तान अमित तुकाराम कांबले का विशेष योगदान रहा है।
लगातार पकड़े जा रहे हैं शिकारी
पिछले 20 दिनों में उदंती सीतानदी की एंटी पोचिंग टीम ने ओडिसा के सीमावर्ती 3 जिले की टीम के साथ मिलकर लगातार कार्यवाही कर रही है। टीम के नोडल अधिकारी गोपाल कश्यप, पकड़े गए आरोपियों से मिली सूचना को आला अफसरों के साथ साझा कर आगे की रणनीति बनाते गए। इस दौरान लगातार मिल रही सफलता से जहां शिकारी पस्त हो गए हैं, वही टीम का हौसला बढ़ा हुआ है। विभाग का दावा है कि आगे भी अभियान जारी रहेगा और उन्हें सफलता मिलेंगी।
लगातार घट रही है बाघों की संख्या
राज्य में तीन टाइगर रिजर्व में वर्ष 2014 में 46 बाघ हुआ करते थे, मगर 2018 की गणना में बाघों की संख्या घटकर सिर्फ 19 रह गई। 2018 के बाद भी बाघों के खाल मिलने का सिलसिला जारी रहा, जानकारी के मुताबिक बीते 5 सालो में इनकी संख्या में और कमी आ गई। इनमें सीता नदी-उदंती, इंद्रावती और अचानकमार टाइगर रिजर्व शामिल हैं और तीनों ही टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल 5555 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है।
महीने भर में 50 से ज्यादा शिकारी
इसी वर्ष जून के महीने में एंटी पोचिंग के जाल में 50 से ज्यादा शिकारी फंस गए, उदंती सीता नदी अभ्यारण्य के वरुण जैन के नेतृत्व में टीम के नोडल अधिकारी गोपाल कश्यप के नेतृत्व में टीम 3 जून से शिकारियों पर शिकंजा शुरू किया गया और कल 30 जून तक टीम के जाल में 50 से ज्यादा शिकारी पकड़े गए। शिकारियों के खिलाफ प्रदेश का यह सबसे बड़ा सफल ऑपरेशन रहा। इस दौरान भालू, तेंदुआ, बाघ, पेंगोलीन, जंगली सूअर, हिरण सहित कई जंगली जानवरों के शिकार किये जाने का खुलासा हुआ है और जानवरों के खाल, हड्डी तथा अन्य अवशेष भी जब्त किये गए।
बाघ बचे भी हैं या नहीं..?
सीतानदी उदंती अभ्यारण्य इलाके में जिस तरह पहले बाघों की उपस्थिति नजर आती थी वो अब बिलकुल नहीं है। वन विभाग ने कल जिस बाघ का खाल जब्त किया है उसे वन अमला गरियाबंद जिले की बजाय कहीं और का बता रहा है। जबकि लोगों का कहना है कि यह खाल उदंती अभ्यारण्य में मौजूद बाघ का हो सकता है। लोगों का यह भी कहना है कि उदंती अभ्यारण्य में अब बाघ नहीं रह गए हैं। शिकारियों की यहां जिस तरह मौजूदगी रही है उसके चलते बाघ और अन्य जानवरों का बच पाना मुश्किल है।
शिकारियों को पकड़ने की मुहिम के पीछे आखिर राज क्या..?
सीतानदी उदंती अभ्यारण्य उड़ीसा तक फैला हुआ है, और इस बार यहां शिकारियों को पकड़े जाने की मुहीम चलाई गई, जिसमें उड़ीसा के जिलों की टीम को भी शामिल किया गया। बताया जा रहा है कि यहां के शिकारियों का नेटवर्क राष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ है। सेंट्रल की टीम द्वारा इसी नेटवर्क के खुलासे के बाद जो जानकारी यहां भेजी गई, उसी के आधार पर शिकारियों की धर-पकड़ शुरू की गई, और इस मुहिम के दौरान काफी सफलता हासिल हुई। लेकिन जानवरों की जान की कीमत पर मिली इस सफलता का क्या फायदा ? वन अमले द्वारा अगर पूर्व से ही शिकारियों पर नकेल कसते हुए जंगल की रक्षा की जाती तो विलुप्त होते जा रहे बेजुबान जानवरों का शिकार नहीं होता। बेहतर होगा कि वन विभाग द्वारा अपनी जिम्मेदारियों का अच्छी तरह से वहन किया जाये, अन्यथा एक दिन यहां के जंगल तो क्या अभ्यारण्य भी जंगली जानवर विहीन हो जायेंगे।