बधाई कम – मरीज ज्यादा पहुंचे..!

0 सन्दर्भ ‘डाक्टर्स डे’
0 अनवरत जुटे रहते धरती के भगवान।
रायपुर। समूचे देश- प्रदेश में शनिवार 1 जुलाई को “डाक्टर्स डे” मनाया गया। धरती के भगवान कहे- समझे जाने वाले चिकित्सकों से सामना होते ही पीड़ित समझते हैं कि डाक्टर्स उनकी पीड़ा हर लेंगे। एक आस (उम्मीद) ले जाते हैं, पर… दिवस विशेष पर ज्यादातर लोग ना तो डाक्टर्स के पास जाते और ना ही बधाई देते हैं।
आमतौर पर लोगों को चिकित्सक दिवस (डाक्टर्स डे) की याद नहीं रहती। या यों कहा जाना न्यायोचित होगा कि बहुतों को पता नहीं है कि “डाक्टर्स डे” नामक कोई दिन विशेष कैलेंडर (पंचाग) में है। सम्मानीय डाक्टर्स माफ करेंगे। यह हकीकत है।
बहरहाल ई ग्लोबल न्यूज डॉट इन ने तत्संबंध में फौरी तौर पर डे विशेष का जायजा लिया। चाहे एम्स हो, सरकारी बड़े अस्पताल हो या प्रसिद्द नामवर, कोई भी बड़े- छोटे- मंझोले अस्पताल क्लीनिक। तकरीबन सभी जगह शनिवार को मरीज ज्यादा दिखे। जबकि डाक्टर्स सर-मैडम को बधाई देने पहुंचे लोग नगण्य प्रायः।
उपरोक्त हालात राजधानी समेत प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी थी। जहां इलाज कराने पहुंचे मरीज, पीड़ितों को पता नहीं था कि आज “डाक्टर्स डे” है। इनमें ऐसे लोग भी कम नहीं थे जो जानते तक नहीं कि हर बरस 1जुलाई को देश-दुनिया “डाक्टर्स डे” (दिवस) मनाती है।
हकीकत यह भी है कि चिकित्सक इससे अवगत हैं, पर वे भी पहले मानव- मनुष्य हैं। उन्हें भी अच्छा लगता है कि कोई (पूर्व पीड़ित या मरीज ही सही)आकर मिलकर या फोनकर बधाई दे। इसका मनोवैज्ञानिक असर उन पर (डाक्टर्स) पड़ता है। बीमारियों से लड़ने, दूर करने का हौसला (जज्बा) बढ़ाता है। आत्मविश्वास बढ़ता है।
पर क्या करें- जानते हैं कुनैन कड़वी होती है- मलेरिया से उबरने खानी पड़ती है। गले उतारते तकलीफ होती है। हमारे सम्मानीय चिकित्सक वस्तुस्थिति समझते हैं, उन्हें पता है कि देश- प्रदेश के ज्यादातर लोग उनके डे से अवगत नहीं है, बावजूद उनके (लोगों) पीड़ित, मरीज बनकर आने पर यथासंभव जुट जाते हैं। इलाज करने – एक चुनौती लेकर। उन्हें तो सिखाया-पढ़ाया, शपथ दिलाई जाती है मानवता की। पीड़ित की सेवा की। धर्म -मजहब से ऊपर उठकर निस्वार्थ सेवा की। लिहाजा बधाई ना मिले तो भी बुरा नहीं मानते – सेवा में अनवरत। बहरहाल ई ग्लोबल न्यूज डॉट इन की ओर से बधाई – शुभकामनाएं।