मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के आसार

– हालात राज्य सरकार के हाथ से बाहर
– घोर अराजक स्थिति बनी
रायपुर। मणिपुर राज्य की स्थिति अराजक हो गई है। जनजातियां आरक्षण के नाम पर जिस तरह आपस में भिड़ी हैं, आपस में खून खराबा जारी है। एक जाति विशेष समुदाय द्वारा वहां के जनप्रतिनिधियों के घरों, आवासों, निजी प्रतिष्ठानों को आग के हवाले किया जा रहा है। वह अत्यंत चिंतनीय है। इसके पूर्व डेढ़ माह में 120 के करीब लोग मारे जा चुके हैं। केंद्र सरकार अब मणिपुर में कभी भी राष्ट्रपति शासन लगा सकती है। जिसके आसार 2 दिनों से दिखे। पहला मणिपुर सीएम की गृहमंत्री से भेंट, पीएम का भारत लौटना, तीसरा राज्यपाल की राष्ट्रपति से भेंट।
गौरतलब है कि महज 38 लाख की आबादी वाला मणिपुर पिछले डेढ़ माह से अधिक समय से चल रहा है। वहां आरक्षण के नाम पर दो समुदाय के बीच जबरदस्त टकराव है। अब तक 120 के करीब लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें जनजाति समूह के लोग पुलिस, सशस्त्र बल, जनप्रतिनिधि शामिल हैं। सैकड़ों घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों, गोदामों, नेताओं-मंत्रियों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया है।
स्थिति कितनी अराजक, विस्फोटक हो चली है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उग्रवादियों को सशस्त्र बल पकड़ रहे हैं, तो भीड़तंत्र उन्हें मौके पर से ही छुड़ा ले जा रही है। यानी अपराधी प्रमाणित है सामने, तब भी सशस्त्र बल उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही है। दूसरे सपाट शब्दों में उग्रवादी नंगा नाच- नाच रहे हैं। 2 दिनों पूर्व सशास्त्र बलों ने उग्रवादियों द्वारा लूटे गए 6000 शस्त्र में से 4500 के करीब शस्त्र बरामद किया। साथ ही मौके पर 12 उग्रवादियों को पकड़ लिया, परंतु 1500 के करीब जनजाति महिलाओं ने सशत्र बल की टुकड़ी को घेर लिया। वे उग्रवादियों की रिहाई के लिए अड़ गईं, मजबूरन उन्हें छोड़ना पड़ा। हालांकि बरामद हथियार जब्त कर लिए गए हैं।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने दिल्ली पहुंचकर, केंद्रीय गृहमंत्री को बताया है कि स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर हो चली है। अंदर की कोई खबर सरकार, प्रशासन को नहीं मिल रही है। क्या चल रहा है पता नहीं, स्थिति अराजक हो गई है। उधर राज्यपाल ने एक दिन पूर्व राष्ट्रपति से भेंट कर उन्हें राज्य की ताजा स्थिति से अवगत करा रिपोर्ट सौंपी। चीन एवं म्यांमार, बांग्लादेश से लगे इस महत्वपूर्ण जनजातीय राज्य को ले केंद्र पहले से गंभीर है। पर जनजातियां जिस तरह कानून-व्यवस्था को हाथ में ले रही हैं, उससे लगता है कि जल्द ही मणिपुर की भाजपा सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। अब और इंतजार, नरमी बहुत भारी पड़ सकती है। ऐसे हालात में वहां सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल भेजना भी घातक हो सकता है। केंद्र सरकार के समक्ष उधर कुंआ इधर खाई की खाई वाली स्थिति है।