टमाटर-सब्जी उत्पादक, किसान हताश न होकर सुनियोजित तरीका अपनाएं

अपना नेटवर्क प्रदेश भर में फैलाएं

रायपुर। देशभर में टमाटर एवं सब्जियों की आसमान छूती दरों ने हाहाकर मचा रखा है। बेशक मौसम की मार के चलते ज्यादातर स्थानों पर उपज प्रभावित या खराब हुई है, खासकर टमाटर। बावजूद कुछ सजग किसानों ने लाखों-करोड़ों रुपए टमाटर बेचकर कमा लिया है। जो हताश हो चुके या जल्द हथियार डाल देने वाले किसानों के लिए अच्छा सबक है।

महाराष्ट्र अमरावती समेत कुछ अन्य जिलों से रिपोर्ट आ रही है कि वहां के जिन किसानों ने, पिछले बरसों में घाटे के बावजूद टमाटर की फसल कई-कई एकड़ में ली। इस बार उन्होंने वर्षों के घाटे को सूद समेत पूरा कर अच्छा कारोबार किया है। महाराष्ट्र के इन किसानों ने स्वयं पर हताशा हावी नहीं होने दी। फिर भरोसा कर उपज ली, जिसका जबरदस्त फायदा उन्हें मिला है। वहां करीब दर्जन भर किसानों ने करोड़ से अधिक का धंधा किया है।

छत्तीसगढ़ में धमधा (दुर्ग) और लैलूंगा (रायगढ़) में टमाटर की भरपूर (बंपर) फसल होती है। भाव नहीं मिलने से यहां के किसान सड़कों, मैदानों पर टमाटर फेंक देते हैं। या जानवरों को चरने छोड़ देते हैं। वे अब और घाटा उठाने तैयार नहीं। पर उन्हें उपरोक्त खबर के बाद पछतावा हो रहा होगा। या कि भाव 100-150 रुपए आने पर।

यहां के किसानों को लोन लेकर खुद का कोल्ड स्टोरेज खेतों के पास ही बनाना चाहिए। जिससे की बंपर आवक होने पर माल हफ्ते-डेढ़ हफ्ते सुरक्षित रख सकें। दूसरा इन्हें अपना नेटवर्क पूरे प्रदेश में स्वयं फैलाना चाहिए, ताकि माल की जल्दी सप्लाई कर सकें। इसी तरह सब्जी उत्पादक किसानों को भी इसके अच्छे परिणाम मिलेंगे। खुद किसानों को राज्य भर में तहसील स्तर पर थोक विक्रेताओं, डीलरों से संपर्क बनाना होगा। बावजूद माल बचे तो प्रदेश के बाहर निर्यात करें।

बेरोजगारी ग्रामीण-कस्बाई शहरों में ज्यादा है। जिसका लाभ उठा किसान अपने एजेंट नियुक्त करें। कमीशन बेस पर प्रचार-प्रसार, बिक्री का काम दें। फिलहाल देश भर में सब्जियों टमाटर के बढ़े भाव ने एक अवसर किसानों को दिया है। उन्हें नए सिरे से विचार की जरूरत है। वह भी पेशेवर विशेषज्ञों के साथ मिलकर।

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