भिलाई में फल-फूल रहा जासूसी कारोबार..!

– तय फीस लेकर दे रहे पुख्ता जानकारी
रायपुर। घर से बाहर बाइक लेकर निकलते ही ईयर फोन लिया या ब्लूटूथ लगा मोबाइल पर बतियाते, फर्राटे भरते, मस्ती करते, गर्ल्स या बॉयज फ्रेंड संग वक्त गुजारती नई पीढ़ी हो या कामकाज कारोबार हेतु जुटे लोग सावधान हो जाएं, आप पर कैमरे नहीं किसी की आंखें लगी हुई- पीछा कर रही हैं।
यह कहानी-किस्सा का पैराग्राफ नहीं बल्कि हकीकत है। राजधानी से लगे महज 29 किलोमीटर दूर स्थित भिलाई नगर में कई जासूसी संस्थाए चुपके-चुपके काम कर रही हैं। जिसकी भनक संबंधित व्यक्ति तो दूर, पुलिस-प्रशासन तक को नहीं हो पाती।
निकटवर्ती सूत्रों के अनुसार जासूसी का कारोबार कई वर्षों से भिलाई नगर में फल फूल रहा है। गौरतलब हो कि भिलाईवासी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर प्रदेश में सबसे ज्यादा सतर्क-सजग रहते हैं। आज से नहीं दशकों से, यही वजह है कि वहां के बच्चे ज्यादा सफल हैं। वे विभिन्न क्षेत्रों में कई दशक से अच्छा मुकाम हासिल करते रहें हैं।
प्रतिस्पर्धा के दौर में नए वातावरण की रंगत में नई पीढ़ी जल्दी घिर (प्रभावित) जाती है। इसके प्रभाव में आकर कई युवा रास्ता भटक जाते हैं या अपना लक्ष्य तय नहीं कर पाते। इस बात को भिलाई वासियों ने खूब ताड़ा। जहां आमतौर पर घर में मां-बाप दोनों नौकरी या व्यवसाय करते हैं। ऐसे में उक्त पालक बच्चों के भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित रहते हैं। उनकी इसी फिक्र को ताड़ कर कुछ जासूसी संस्थाओं ने वहां कदम धरा।
सूत्रों की मानें तो जासूसी संस्थाओं ने बड़े गुपचुप तरीके से कारोबार शुरू किया। उपरोक्त प्रकार के चिंतित ग्राहकों को चिन्हित कर उन्हें भरोसा दिलाया। जिसके बाद एक निश्चित पैकेज तय कर काम हाथ में लेने लगे। वे महज 15-20 दिन या माह भर में आपकी स्पॉट रिपोर्ट ग्राहक को सौंप देते हैं। जिससे बच्चों की गतिविधियां समय रहते पता चल जाती हैं। एजेंसियां आर्डर पर करोबारियों, कामकाजियों पर भी नजर रखती हैं। इतना ही नहीं शादीशुदा जोड़ों यानि पति-पत्नी मामलों को भी देखती हैं। सूत्रों के मुताबिक कई संस्थाएं वहां दूसरा कारोबार व्यवसाय की आड़ में जासूसी का कारोबार सफलता पूर्वक चला रही हैं। इस पेशे में सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला है। महिला-पुरुष दोनों को जोड़ा गया है। जो आघोषित है। यानी संस्था में किसी अन्य पद पर नियुक्त और फील्ड में कुछ और फील्ड में रहकर बगैर दफ्तर जाए टारगेट पर नजर रखने का काम रोज रिपोर्ट देना। कार्य में इतनी बारीकी कि किसी को शक तक नहीं होता कि उन पर नजरें हैं। क्रियाकलाप नोट किए जा रहे हैं। समय रहते सही रिपोर्ट (पुख्ता) मिल जाने पर मां-बाप परिजन एलर्ट हो जाते हैं।