नग्न प्रदर्शन, खुफिया तंत्र की नाकामयाबी

जो नहीं होना था वह हो गया…
रायपुर। विधानसभा घेराव, वह भी नग्न होकर करने की चेतावनी के बाद भी पुलिस-प्रशासन का खुफिया विभाग नाकामयाब रहा। 2 दर्जन से अधिक युवकों ने मंगलवार को अचानक निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन किया, वह भी मंत्रियों-विधायकों की गाड़ियों-काफिले के निकलते वक्त। इसकी जवाबदेही तय कर कार्रवाई की जानी चाहिए।
अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर अगर सैकड़ों कर्मचारी-अधिकारी वर्षों से पदस्थ हैं। तो बहुत गलत बात है। जिसकी शिकायतों के बाद भी मामलों के निपटारे में देरी की वजह से आक्रोश स्वाभाविक है। अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवाओं ने उक्त मामला वर्षों पूर्व से उठा रखा है। यह मामला राजनैतिक दल विशेष का कतई नहीं है। बल्कि शासन-प्रशासन को झांसे में रखकर, फर्जी दस्तावेज के सहारे सरकारी नौकरी करने (पाने) वालों के हैं। ऐसे झांसा देने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
खैर ! जब आक्रोशित युवाओं ने मामले को लेकर नग्न प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी। जो स्वाभाविक तौर पर नहीं दी गई। बावजूद चेतावनी को गंभीरता से लेकर विधानसभा रोड पर एवं उससे लगे इलाको के पास खुफिया तंत्र को जाल फैलाना था। अगर ऐसा कुछ किया गया होता तो शायद उक्त प्रदर्शन रोका जा सकता था। पुलिस प्रशासन ने शायद जांच पड़ताल पर फोकस मार्ग के ऊपर रखा। वे गांव दर गांव नहीं गए। यानी खुफिया तंत्र ने लापरवाही बरती। यहां तक कि जिन्हें शक के आधार पर पूर्व में गिरफ्तार किया गया था, उनसे भी गहन पूछताछ में शायद प्रदर्शन की बात पता चल जाती। तो उसे देर रात या अलसुबह काबू किया जा सकता था।
बहरहाल मामला किसी भी तरह का हो, किसी भी संगठन मोर्चा का हो, इस तरह का प्रदर्शन करना मर्यादा को लांघना है। फिलहाल तमाम प्रदर्शनकारी गिरफ्तार कर लिए गए हैं।