जलभराव – गंदगी के लिए सभी जिम्मेदार !

0 स्वच्छता हेतु सबकी जवाबदेही है
रायपुर। राजधानी में पिछले 3 दिनों की मानसूनी बारिश से दर्जनों स्थानों पर जलभराव की स्थिति निर्मित हुई है। इसके लिए नगर निगम, रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड एवं खुद नागरिक भी जिम्मेदार हैं। एक दूसरे के ऊपर ठीकरा फोड़ देने से काम नहीं होता, सब की जवाबदेही है।
महज 3 दिन के बारिश ने नगर निगम व रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की पोल खोल कर रख दी। बेशक यह सच है, क्योंकि साफ सफाई की असल जिम्मेदारी इन्हीं दो संस्थाओं पर है। दोनों के वर्कर्स रोजाना काम पर आते हैं, पर क्या वे पूरी जिम्मेदारी से काम करते हैं ? क्या उन्हें वॉच करने वाला समयपाल गंभीर रहता है। क्या वह मस्टररोल में मजदूरों की सही संख्या दर्ज कराता है। मजदूरों के कार्य की मॉनिटरिंग पार्षद एवं छाया पार्षद (हारे हुए उम्मीदवार) बराबर रोजाना करते हैं। क्या सफाई कर्मी झाड़ू लगाते वक्त कचरा एक जगह जमा करते हैं, डस्टबिन में डालते हैं या कि 40-50 प्रतिशत मजदूर नालियों, नालों में कचरा खुद डाल देते हैं। क्या नागरिक सफाई कर्मियों के काम की मॉनिटरिंग छोटे समूह बनाकर या स्वयं करते हैं..? ज्यादातर के जवाब नहीं में मिलेंगे।
दूसरी ओर नागरिक क्या डस्टबिन का सदुपयोग कर रहे हैं। क्या वे मौका पाकर नाली-नाले में कचरा नहीं फेकते ? क्या सड़कों पर कचरा नहीं फैलाते। क्या फूड स्ट्रीट का लुफ्त उठाते लोग नाले-नालियों में डिस्पोजल ग्लास, दोना, पत्तल, डिस्पोजल प्लेट नहींफेकते। क्या सड़कों चौराहों, नुक्क्ड़ पर बैठकर या टू व्हीलर, फोर व्हीलर में बैठकर युवाजन वाहन, बीयर पीकर बोतल, डिस्पोजल गिलास, प्लेट आदि नाली, सड़कों पर नहीं डालते ?
तीसरा क्या स्ट्रीट फूड का धंधा करने वाले व्यवसायी स्ट्रीट के नाले-नालियों में कचरा, दोना-पत्तल, गिलास आदि नहीं फेंकते, बचा-खुचा जूठा क्या नाली में नहीं फेंकते, उपरोक्त दोनों के जवाब ज्यादातर (फेंकते) हैं में आते हैं।
ऐसी स्थिति में नाले-नालियां अगर जाम होती हैं, तो अकेले एक पक्ष भला कैसे दोषी होगा। निगम, स्मार्ट सिटी का दल कई बार स्वच्छता की सीख लेने, पाठ पढ़ने, नई व्यवस्था वास्ते आदर्श स्वच्छ सिटी, कई राज्य का दौरा कर चुके हैं। बावजूद इसके यह हाल है। दौरे पर कितना क्या-क्या खर्च किया, नहीं बताया। तीनों वर्ग जब तक खुद होकर ईमानदारी से कार्य नहीं करेंगे, स्वच्छता वास्ते प्रत्येक व्यक्ति जागरूक नहीं होगा, तब तक जलभराव की स्थिति नजर आती रहेगी। भले ही राजधानी हो या स्मार्ट सिटी, व्यक्ति पद पा लेने से योग्य, सार्थक नहीं हो जाता, बल्कि अनुशासन, संस्कार, आचरण, स्वभाव शहर के प्रति जिम्मेदारी लेकर, उठाकर ही योग्य बनता है।