अध्ययन-अध्यापन पर किसी छात्र संगठन ने आपत्ति नहीं दर्ज की

पुनर्मूल्यांकन का अधिकार तो विश्वविद्यालय ने पहले ही दे रखा है

रायपुर। बीते शिक्षा सत्र 2022-23 में प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालय के ज्यादातर वार्षिक, सेमेस्टर परीक्षा परिणाम खराब रहें हैं। जिसे लेकर विभिन्न दलों के छात्र संगठन आपत्ति दर्ज करा रहे हैं। आश्चर्य, कोई संगठन यहां शिक्षक-छात्र के अध्यापन-अध्ययन के तौर तरीकों या कमी का मुद्दा नहीं उठा रहा है।

आमतौर पर तमाम विश्वविद्यालयों के ज्यादातर स्नातक पाठ्यक्रमों का परीक्षा फल एक चौथाई या एक तिहाई रहा है। जबकि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में औसतन एक तिहाई से लेकर आधे यानी 50 फीसदी।

उधर विधानसभा चुनाव नजदीक है और इधर विश्वविद्यालयों में भी छात्रसंघ चुनाव का मुद्दा फिर उठ रहा है। लिहाजा दलों के छात्र संगठन सक्रिय हो रहे हैं। जिसके मायने समझे जा सकते हैं। छात्र संगठन परीक्षा नतीजों की खराबी पर आवाज उठाते हुए परीक्षा पेपर रद्द करने, फिर से मूल्यांकन या अलग जांच आदि मांग कर रहे हैं। खैर यदि परीक्षार्थी वाकई सोचता है कि उसने अच्छा पेपर बनाया था तो उसे पुनर्मूल्यांकन अधिकार तो विश्वविद्यालय ने दे रखा है। करा लें।

पर हैरानी कहे या आश्चर्य, अब तक किसी छात्र या छात्र संगठन, मोर्चा या समिति में छात्रों के अध्ययन, शिक्षकों के अध्यापन के तौर-तरीके, वास्तविक ज्ञान, कार्य के प्रति गंभीरता, नियमित पढ़ाई-लिखाई शिक्षकों की जवाबदेही आदि को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया। गर उपरोक्त विषयों पर भी सोच- विचार लें तो शायद उनके एकमात्र सवाल, आवाज का जवाब मिल जाए। अन्यथा पुनर्मूल्यांकन तो नैतिक अधिकार है ही। या फिर उन शिक्षाविदों की टिप्पणी, कमेंट विचार पढ़ ले जो रिजल्ट बाद अखबारों, पत्र -पत्रिकाओं में छपी या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से प्रसारित हुई थी। यह सर्वविदित है।

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