कांग्रेस की 4 घंटे की बैठक में निकला राजस्थान संकट का हल? पायलट बोले- पार्टी जो बोलेगी करूंगा

नई दिल्ली: राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Elections 2023) होने में 6 महीने से भी कम वक्त रह गया है। कांग्रेस पार्टी (Congress) राज्य में चुनावी रणनीति पर काम करने के बजाय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच रिश्ते को बनाने या बिगाड़ने की लड़ाई से जूझ रही है।

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव के लिए संभावित रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को एक अहम बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान गहलोत और पायलट के बीच दूरियों को भी पाटने की कोशिश हुई। इस बैठक को लेकर सचिन पायलट का बयान आया है। पायलट ने कहा, “पार्टी नेतृत्व मुझे जो भी जिम्मेदारी देगा, मैं उसे निभाने के लिए तैयार हूं। ”

सचिन पायलट ने कहा, “हमारी मीटिंग चार घंटे चली। हमने विधानसभा चुनाव (assembly election 2023)से जुड़े हर मुद्दे पर बात की। हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे। एंटी इनकमबेंसी anti incumbency(सत्ता विरोधी लहर) को तोड़ने पर चर्चा हुई है। चुनाव में हम बीजेपी (BJP) को हराएंगे। ”

सूत्रों के अनुसार, सचिन पायलट ने राजस्थान में कांग्रेस अभियान में अपनी भूमिका जारी रखने की शर्त के रूप में पार्टी के भीतर एक सम्मानजनक पद की इच्छा जाहिर की है। लेकिन इसे सबके सामने उजागर नहीं किया गया है। हालांकि, अशोक गहलोत सत्ता साझा नहीं करने पर अड़े हुए हैं। उनका लक्ष्य अपने सामाजिक कल्याण पिच के बैनर तले पार्टी का नेतृत्व करना है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि राजस्थान संकट का हल कांग्रेस कैसे निकालेगी? क्या इसमें छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाएगा? राजस्थान का चुनाव कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं। कांग्रेस नेतृत्व को उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ में इसी तरह के सत्ता संघर्ष के हालिया समाधान से सीखे गए सबक को लागू किया जाएगा। पिछले हफ्ते ही छत्तीसगढ़ की बैठक के बाद कांग्रेस ने टीएस सिंह देव को उप-मुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister to TS Singh Deo) बनाने का ऐलान किया था। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि क्या राजस्थान में भी कोई उप- मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? बीते कुछ दिनों से हरीश चौधरी को बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा चल रही है।

सचिन पायलट क्या चाहते हैं?
सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट फिर से राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद चाहते हैं। लेकिन पार्टी नेतृत्व उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाना चाहता है। बीच के रास्ते के तौर पर उन्हें चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया जा सकता है। यह साफ है कि राजस्थान में कांग्रेस गहलोत के चेहरे पर चुनाव में उतरेगी। इंतजार संगठन और गहलोत सरकार में फेरबदल का हो रहा है। देखना है कि पायलट को लेकर कांग्रेस क्या फैसला करती है और क्या पायलट पार्टी का फैसला मानते हैं?

गहलोत सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे थे सचिन पायलट
पिछले महीनों में सचिन पायलट ने पिछली वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ कथित निष्क्रियता को लेकर गहलोत सरकार की सार्वजनिक रूप से आलोचना की। उन्होंने अनशन और पदयात्रा भी किया। पायलट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने की भी मांग की है। पेपर लीक के पीड़ितों के लिए कार्रवाई की मांग की है। अब देखना ये है कि क्या गहलोत सरकार और कांग्रेस नेतृत्व कलह को खत्म करने के लिए सचिन पायलट के इन मांगों को पूरा करेगी या नहीं।

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