उच्च शिक्षण संस्थाओं में दाखिला ऑफलाइन हो

जहां प्रवेश परीक्षा हो वहां ऑनलाइन रखें

रायपुर। प्रदेश के विश्वविद्यालयों (निजी छोड़) से संबंद्ध महाविद्यालयों में इस वक्त स्नातक-स्नातकोत्तर कक्षाओं में दाखिला चल रहा है। दोनों के प्रथम वर्ष बाबत ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे। 16 जून को उच्च शिक्षण संस्थाए खुल गई थी। वर्तमान स्थिति को देखें तो प्रवेश प्रक्रिया लंबी चलेगी। ऐसे में पढ़ाई-लिखाई देर से शुरू होगी।

पिछले कुछ बरसों से विश्वविद्यालयों ने स्नातक-स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। अपनी सुविधा के लिए विश्वविद्यालयों के उक्त निर्णय का लगातार प्रभाव देखा जाता रहा कि पढ़ाई शुरू होने में कई सप्ताह की देर होने लगी है। यह जानते समझते हुए भी ऑनलाइन व्यवस्था चालू है। जबकि विद्यार्थियों समेत संबंधित महाविद्यालयों में लगातार परेशानी हो रही हैं।

जिन शिक्षण संस्थाओं में किसी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा ली जाती है, वहां ऑनलाइन सिस्टम समझ में आता है और वहां ठीक भी है। परंतु जहां ऑफलाइन प्रवेश है वहां भला क्यों दबाव बनाया जाता है। परेशान विद्यार्थी शिक्षक नाम ना उजागर करने की शर्त पर कहते हैं कि ऑफलाइन व्यवस्था होने से विद्यार्थी अपने पसंदीदा महाविद्यालयों में अलग-अलग आवेदन करता है। जबकि ज्यादातर एक ही में प्रवेश सूची जारी होते ही वह दाखिला ले लेता है। ऑफलाइन प्रवेश व्यवस्था रहने पर विद्यार्थी का नैतिक अधिकार है कि वह मनमाफिक शिक्षण संस्था चुने। अगर उसका नाम प्रवेश सूची की मेरिट लिस्ट में नहीं आता तो वह दूसरे-तीसरे शिक्षण संस्थान में प्रयास करता है।

पूर्व में उपरोक्त व्यवस्था रही है, जो किसी भी तरह खामी लिए नहीं थी। प्राप्त आवेदन आधार पर संबंधित शिक्षण संस्था मेरिट लिस्ट जारी करती और विद्यार्थी प्रवेश लेते।

फिलहाल जबरिया जारी ऑनलाइन व्यवस्था से तमाम अच्छे प्रतिशत वाले विद्यार्थी (आवेदन) चंद शिक्षण संस्थाओं प्रवेश पा जा रहे हैं। बचे औसत दर्जे वालों को छोटे-मंझोले महाविद्यालय में डाल दिया जाता है। इससे शैक्षणिक तौर पर विद्यार्थी एवं संस्थाएं वर्गीकृत हो जाते हैं। उनसे दोयम व्यवहार होता है। ज्यादा प्रतिशत या रेकिंग वाले बड़ी तो कम वाले औसत दर्जे की शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश पाते हैं। एक समान से औसत दर्जे के विद्यार्थियों के मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा पैदा होता है। जो उन्हें आगे बढ़ाता है। ऑफलाइन व्यवस्था से ज्यादातर 10-15 जुलाई तक (अधिकतम) स्नातक- स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में पढ़ाई- लिखाई शुरू हो जाती है। जबकि ऑनलाइन सिस्टम में कई बार जुलाई पूरा गुजर जाता हैं।

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