संविदा, दैवेभो कर्मियों ने गेंद सरकार के पाले डाल दी..!

– अनिश्चितकालीन हड़ताल, प्रदर्शन जारी

रायपुर। प्रदेश के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा, अंशकालीन, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी इन दिनों अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। वे नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं।

गौरतलब हो कि राज्य शासन के दर्जनों विभागों के अंदर हजारों की संख्या में उक्त प्रकार के कर्मी नियुक्त हैं। जिनकी कुल तादाद 70 हजार से ऊपर बताई जा रही है। इन्हें कार्यों के निपटारे, स्थायी पद खाली रहने, योजनाओं को पूरा करने, आयोगों दफ्तरों के कामकाज आदि के चलते एक निश्चित मानदेय (वेतनमान नहीं) पर रखा गया है। यहां यह बता देना लाजिमी होगा कि उक्त नियुक्तियों के वक्त शासन के नीति-नियम अंतर्गत कर्मचारी को स्पष्ट बता दिया जाता है कि उनकी नौकरी पूर्णतः (अस्थाई ) एक समयावधि या पद पर नियमानुसार स्थायी भर्ती होने तक रखी गई है। वे कभी भी बिना कारण बताए हटाए जा सकते हैं। तत्संबंध में कर्मचारी से प्रपत्र पर सहमति हस्ताक्षर भी लिए जाते हैं।

बेरोजगार युवा भटकते रहने के बजाय मजबूरी में सही, उक्त शर्तों के साथ एक निश्चित मानदेय से गुजारा चलाने के वास्ते नौकरी ज्वाइन कर लेते हैं। कई उपरोक्त प्रकार की नौकरी विभिन्न कारणों से लंबी (सर्विस ब्रेक के मध्य) चलती हैं। लिहाजा कर्मचारी इस उम्मीद से नौकरी में जुड़े रह जाते हैं कि शायद कालांतर में उन्हें स्थायी कर दिया जाएगा उनकी सेवाओं को देखते हुए। इस बीच उनकी उम्र स्वाभाविक तौर पर बढ़ती जाती है। पर यह भी बता देना उचित होगा कि ऐसे तमाम अस्थायी, संविदा, दैवेभो कर्मियों को यह छूट रहती है कि वे अन्य स्थानों पर स्थायी भर्ती परीक्षाओं या सीधी भर्ती परीक्षाओं में आवेदन कर सकते हैं, बैठ सकते हैं। इस हेतु अपने संबंधित प्रमुख से या प्रभारी से इजाजत (सहमति) लेने की जरूरत नहीं है। या कभी भी कार्य छोड़ अपना धंधा व्यवसाय, स्वरोजगार आदि से जुड़ सकते हैं। या कि उपरोक्त प्रकार की नौकरी के साथ अपना रोजगार व्यवसाय करने की मनाही नहीं रहती।

बहरहाल हजारों कर्मियों के प्रदर्शनरत होने से कार्यालयों में उनका कार्य, मौजूदा स्थायी कर्मचारी जैसे-तैसे पूरा कर रहें हैं। या कार्य प्रभावित भी हैं। इधर प्रदर्शनरत कर्मी एस्मा लागू होने से नाराज हो, अब त्याग पत्र देने लगे हैं। जेल भरो आंदोलन करने वाले हैं। उधर शासन के कदम पर लोगों की नजरें हैं। जो इस तरह से हो सकती है कि या तो मांग पूरी करें, जिससे आने वाला खर्च करोड़ों-अरबों में होगा (वेतनमान) दूसरा मानदेय में वृद्धि कर। स्थायी भर्ती के दौरान परीक्षा में बोनस अंक दें। तीसरा – पदों पर स्थायी भर्ती परीक्षा के वक्त इनके लिए कुछ प्रतिशत कोटा तय कर दे। चौथा सबका त्यागपत्र स्वीकार करें।और नई संविदा भर्ती करें शासकीय नियमों के जानकारों का कहना है कि उपरोक्त तमाम भर्ती भर्तियां किन्हीं खाली पदों पर नहीं हुई है, बल्कि उसके विरुद्ध भर्ती तक या समयावधि निश्चित कुछ समय तक कार्य निपटारे के लिए की गई हैं। लिहाजा पदों से त्यागपत्र वाली बात नहीं उपजती। हां स्वयं से कार्य जोड़ने वाली बात है। एक तरह से गेंद सरकार के पाले में है। देखना है कि वो क्या पत्ता चलती (कदम) हैं।

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