हरेली त्यौहार की धूम रही, कृषि उपकरणों औजारों की पूजा-भोग

घर-द्वारों पर पर नीम की पत्तियां, गली-मोहल्ले में गेड़ी स्पर्धा
रायपुर। हरेली त्यौहार सोमवार को राजधानी समेत प्रदेश भर में परंपरागत तरीके से मनाया गया। खेती-बाड़ी में काम-काज बंद रहा। घरों में खेतिहर उपकरणों, औजारों, गेड़ियों की पूजा-अर्चना हुई। घर-घर द्वार पर बच्चों ने नीम की डालियां लगाकर लोगों से दक्षिणा लिया।अपरान्ह बच्चे – किशोर गेड़ी चढ़ते नजर आए।
सोमवार सुबह शहर में अच्छी बारिश होते रही। थोड़ी कम होने पर बच्चे नीम की डालियां, बोरियों, थैलों में भरकर या हाथों, सायकल पर लेकर गली-मोहल्ले , कालोनियों में घर-घर निकल पड़े। वे हरेली त्यौहार का वास्ता दे- नीम की पत्तियां लगाते रहे। छोटे-छोटे समूह बनाकर भी किशोर निकले। नीम पत्ती की एक डाली लगा 10-10 रुपए दक्षिणा स्वरूप मांगते – लेते देखे गए। बच्चों- किशोरों में इस हेतु प्रतिस्पर्धा दिखी।
बारिश थमने के बाद प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। एक ही घर में आधा-आधा दर्जन बार नीम की पत्ती लगाने एक के बाद एक बारी-बारी पहुंचते रहे। तमाम सड़कों- चौराहों पर भी इनका समूह दिखा जो वाहनों पर पत्तियां लगा पैसा ले रहा था। उधर गांव शहरों, कस्बों, समेत राजधानी में खेती-बाड़ी उपकरण, औजार, वाहन की पूजा अर्चना कर नीम की द्वारों पर पत्तियां लगाई गई। घरों पर छत्तीसगढ़िया पकवान ठेठरी, खुरमी, सोवई, बड़ा, फरा, चीला आदि बनाया गया। जिनका भोग उपकरणों, औजारों, वाहनों में लगाया गया। मध्यान्ह बाद गेड़ी चढ़ने की होड़ बच्चों-किशोरों में नजर आई। वे प्रफुल्लित थे। हाट बाजार में 2- 3 दिन से गेड़ियां बेची जा रही है। स्पर्धाएं शाम तक चलती रही। बारिश होने की वजह से मौसम ठंडा था। जमीन गीली। यह गेड़ी चढ़ने, दौड़ने के लिए अनुकूल बताया जाता है।