सच – इंकार सुनने की क्षमता खो रहा है-आज की युवा पीढ़ी

राजधानी में फिर एक प्रेमी ने प्रेमिका समेत खुद को मारना चाहा

रायपुर छत्तीसगढ़। एक तरफा प्यार का नतीजा अक्सर घातक हो जाता है। हकीकत को स्वीकार करने के बजाय प्रतिकार का रूप धारण कर हिसाब बराबर करने की कुचेष्ठा घटनाक्रमों को जन्म देती हैं।

ट्रांसपोर्ट नगर में गुरुवार को घटी घटना इसकी पुष्टि करती है। जहां एक प्रेमी युवक ने अपनी कथित प्रेमिका की जान लेने की एवं स्वयं को भी मारने की कोशिश की। दोनों अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। प्रेमी जहां 25 प्रतिशत वही प्रेमिका 30 प्रतिशत से अधिक जली है। चर्चा है कि दोनों 6 वर्षों से दोस्त थे। प्रेमी का दावा है कि उसने प्रेमिका को कई मर्तबें शादी के लिए कहा (प्रस्ताव दिया) था। जिस पर प्रेमिका हर बार इंकार कर देती थी। पर रिश्ते तोड़ती नहीं थी। आखरी बार घटना पूर्व प्रपोज (प्रस्ताव) किया। तब भी नाकार दिया। इससे आक्रोश में आकर उसे खत्म करने के इरादे से जलाने की कोशिश की।

खैर ! स्पष्ट है कि 6 वर्षों से प्रेमी-प्रेमिका दोस्त थे। प्रेमी शादी के लिए कहता रहा पर प्रेमिका नहीं मानी। इतने अधिक वर्षों से एकतरफा प्यार करते रहा। संभव है कि प्रेमिका स्पष्ट तौर पर पहले इंकार कर देती तो ना दोस्ती लंबी चलती न ही एक तरफा प्यार गहराता। यह भी संभव हैं कि प्रमिका अपना स्वार्थ निकल रही हो।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार आज का युवा धैर्य, सहनशीलता तेजी से खो रहा। वह ज्यादा इंकार सुनने की क्षमता खो चुका है। हकीकत से दो-चार होने पर एकतरफा प्यार को जबरदस्त झटका लगता है। जिससे वह सुध-बुध खो बैठ मारने-मरने को उतारू (तैयार) हो जाता है। दूसरी ओर आज के दौर की कथित प्रेमिका कथित प्रेमी तो आसानी से बना लेती है। पर भविष्य को मद्देनजर आर्थिक रूप से कमतर मान स्वार्थ पूरा होते ही नकार देती हैं। उधर युवा प्रेमी, कथित प्रेमिका के महज बात कर लेने से उसे प्रेम समझकर कुर्बान हो जाता है। इस आस में की शादी करेगी। वास्तविकता सामने पड़ने पर प्रेमी को लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया। वह धोखे का शिकार हुआ। यहीं पर वह प्रतिकार लेने तत्काल कदम उठा लेता है। जो दोनों के लिए घातक हो जाता हैं।

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्रेमी-प्रेमिका आपस के रिश्तों को छिपाए रखते हैं। वे बड़े बुजुर्गों या अनुभवियों से मामला बता सलाह-मशविरा नहीं करते। उन्हें डर होता है कि कहीं सलाह उनकी सोच चाहत के विपरीत न हो। साथी से वियोग की परिकल्पना से वह सिहर उठता हैं। यह घातक स्थिति होती हैं।

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