National Doctors Day : विदेशों में है Indian डॉक्टर्स की मांग, दूसरे देश में जाकर बसने में भारतीय डॉक्टर हैं सबसे आगे

National Doctors Day: आज नेशनल डाॅक्टर्स डे है। ऐसे में हेल्थ केयर सिस्टम पर बात न करना गलत होगा। भारत में मेडिकल सुविधाओं को लेकर सरकारें लगातार काम कर रही है। दिल्ली एनसीआर से देश के अलग अलग प्रदेशों में सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों की बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनाई गई है। सभी जगहों पर मरीजों की भीड़ भी लगी है, लेकिन कमी है तो सिर्फ डाॅक्टर्स की। इसकी एक वजह विदेशों में भारतीय डाॅक्टरों की बढ़ती डिमांड है। भारतीय डाॅक्टर दुनिया भर के कई देशों में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं ताजा आंकड़ों की मानें तो दूसरे देशों में जाकर बसने में भारतीय डाॅक्टर्स पहले नंबर पर है। भारत के डॉक्टर देश ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों की मेडिकल जरुरतों को पूरा कर रहे हैं ।
भारत के डाॅक्टर्स यूएस समेत कई देशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन भारत आज भी डाॅक्टरों की कमी से जूझ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, भारत में प्रति व्यक्ति डाॅक्टर्स की संख्या बेहद कम है। विदेशों में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने डाॅक्टर्स का देश भार ब्रेन ड्रेन से जूझ रहा है। Organization of Economic Co-operation and Development (OECD)के आंकड़ों की मानें तो करीब 75 हजार भारतीय डॉक्टर विकसित देशों में काम कर रहे हैं। यह दुनिया में सबसे ज्यादा है।
सरकारी नहीं प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड्स की किल्लत
देश में सरकारी अस्पताल ही नहीं, दिल्ली के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड की किल्लत है। यहां वेटिंग लिस्ट बहुत लंबी है। इसमें मुंबई समेत दूसरे महानगरों के बड़े और महंगे प्राइवेट अस्पताल भी शामिल हैं। जहां बेड्स न होने की वजह से मरीजों को तारीख दी जा रही है। इनमें कई अस्पताल ऐसे भी शामिल हैं, जहां एक दिन खर्च लाखों रुपये में है। चाहे आईसीयू बेड हो या वॉर्ड में सिंगल नॉर्मल बेड आपको प्राइवेट अस्पताल में उसके लिए भी पैरवी लगानी पड़ सकती है, जिसकी सिफारिश ना हो। उसे वेटिंग लिस्ट में इंतज़ार करना पड़ सकता है। दिल्ली का मैक्स, गंगाराम, अपोलो और फोर्टिस अस्पताल में बेड्स की उपलब्धता कम ही रहती है। इसकी वजह दो वजह मानी जा रही है। इनमें पहली कोरोना के बाद लोगों का हेल्थ के प्रति संजग होना और दूसरा माॅर्डन लाइफस्टाइल की वजह से बीमारियों का ज्यादा बढ़ना है। इसके साथ ही डाॅक्टर्स की भारत में कमी और विदेशों में बढ़ती डिमांड भी है।
75000 डाॅक्टर्स विदेशों में दे रहे हैं सेवा
रिपोर्ट के अनुसार, भारत से पढ़े करीब 75 हजार ट्रेंड डाॅक्टर्स विदेशों में सेवा दे रहे हैं। इनमें भी दो तिहाई यानी करीब 19 हजार भारतीय डाॅक्टर्स अमेरिका और दूसरे अंग्रेजी भाषी देशों में हैं। हालांकि 75 हजार डाॅक्टर्स भारत में सेवाएं दे रहे कुल डाॅक्टर्स का 7 प्रतिशत है, लेकिन यह आंकड़ा भी डाॅक्टर्स की कमी के बीच बड़ा महत्वपूर्ण साबित होता है। वहीं पाकिस्तान की बात करें तो यहां के 25 हजार डाॅक्टर विदेशों में सेवा दे रहे हैं। साथ ही चीन के मात्र 8 हजार डाॅक्टर ही विदेशों में काम कर रहे हैं।
भारत में मेडिकल काॅलेज की संख्या बढ़कर हुई 704
भारत में मरीजों की बढ़ती संख्या और डाॅक्टरों पर दबाव को देखते हुए मेडिकल कालेज की संख्या बढ़ाकर 704 कर दी गई है। इस वर्ष डॉक्टर बनाने की सीटों में बढ़ोतरी की गई है। यूजी यानी एमबीबीएस छात्रों के लिए मेडिकल सीटें 52000 से बढ़ाकर 107000 और पीजी की सीटें 32000 से सीधे डबल से भी ज्यादा 67000 कर दी गई है, लेकिन देश की बढ़ती आबादी और विदेशों में बढ़ती डाॅक्टर्स की डिमांड के बीच डॉक्टरों का काम बढ़ता चला जा रहा है।