बंगाल में SIR का खौफ! ममता का दावा- 28 लोगों ने अब तक दी जान
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से जुड़े एक और बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) ने बुधवार को आत्महत्या कर ली. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को अमानवीय बताते हुए 28 मौतों का दावा किया है और चुनाव आयोग से SIR की प्रक्रिया समाप्त करने की मांग की.
पश्चिम बंगाल सहित देश के नौ राज्य और तीन केंद्र शासित प्रदेश में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण का (SIR) काम चल रहा है, लेकिन SIR से पश्चिम बंगाल में जितनी दहशत और खौफ है, शायद ही किसी अन्य राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में है. SIR की प्रक्रिया से जुड़े बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) द्वारा लगातार आत्महत्या करने की घटनाएं सामने आ रही है. बुधवार को जलपाईगुड़ी में एक और बीएलओ ने आत्महत्या कर ली.
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दावा है कि एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों ने जान दे दी है. तृणमूल कांग्रेस चुनाव से पहले SIR के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है और लगातार टीएमसी इसका विरोध कर रही है.
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पहले ही दावा कर चुके हैं कि बंगाल में SIR होने के बाद एक करोड़ मतदाता के नाम कटेंगे, जिन मतदाताओं के नाम कटेंगे. वे बांग्लादेशी या रोहिंग्या होंगे. वहीं, चुनाव आयोग ने भी एसआईआर से पहले कहा कि बंगाल में 34 लाख मतदाताओं के नाम कटेंगे. ये आधार कार्ड धारक मृत पाए गए हैं.
जलपाईगुड़ी में बीएलओ ने की आत्महत्या
दूसरी ओर, राज्य के अलग-अलग हिस्सों से एसआईआर की दहशत के कारण मौतों की खबरें आ रही हैं. बुधवार को जलपाईगुड़ी के मालबाजार में एक बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) का लटकता हुआ शव मिलने से हड़कंप मच गया. मृतक बीएलओ का नाम शांति मुनि उरांव (48) है.
बुधवार सुबह उनके घर के पास उनका लटकता हुआ शव बरामद हुआ. परिवार का आरोप है कि बीएलओ पर काम का अत्यधिक दबाव होने के कारण शांति ने आत्महत्या की. खबर मिलने के बाद, राज्य के मंत्री बुलुचिक बड़ाइक मृतक बीएलओ के घर गए. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बीएलओ पर दो महीने में एसआईआर प्रक्रिया पूरी करने का अमानवीय दबाव डाला जा रहा है.
शांति मुनि उरांव मालबाजार के रंगामाटी ग्राम पंचायत में रहती थीं. वह एक आईसीडीएस कार्यकर्ता थीं. वह रंगामाटी ग्राम पंचायत के बूथ संख्या 101 पर बीएलओ के रूप में कार्यरत थी. बुधवार सुबह उनका लटकता हुआ शव बरामद हुआ और उनके गले में एक गमछा लिपटा हुआ था.
काम के दबाव में की आत्महत्या- पति का आरोप
शांति मुनि के पति सुखू एक्का ने कहा, “मेरी पत्नी रोज सुबह जल्दी उठती थी. खाना बनाती थी. हम थोड़ी देर से उठे. आज सुबह, मैं अपनी पत्नी के उठने और जाने के कुछ देर बाद उठा. जब मैंने जाकर देखा तो खाना नहीं बना था. मैं अपनी पत्नी को नहीं देखा. फिर मैंने अपनी पत्नी को थोड़ी दूर पर लटके हुए देखा.”
उनकी पत्नी ने आत्महत्या क्यों की? सुखू एक्का का दावा है कि उनकी पत्नी को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता था, क्योंकि वह बंगाली पढ़-लिख नहीं पा रही थीं. वह दबाव में टूट गईं थीं. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले, जब वह मालबाजार ब्लॉक के संयुक्त बीडीओ के पास बीएलओ के पद से इस्तीफा देने गईं, तो उनकी पत्नी को काम जारी रखने के लिए कहा गया था.
उन्होंने कहा कि उन्हें सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक काम करना पड़ता था. मृतक के बेटे, डिसूजा एक्का, जो कॉलेज में पढ़ता है, ने भी कहा कि वे बंगाली पढ़-लिख नहीं सकते थे. इसलिए वह अपनी मां की मदद नहीं कर पा रहा था. शांति मुनि हमेशा दबाव की बात करती थीं.
चुनाव आयोग को लेनी होगी जिम्मेदारी… TMC MLA
बीएलओ की मौत की खबर मिलने के बाद, राज्य के आदिवासी कल्याण मंत्री और माल विधानसभा क्षेत्र से विधायक बुलुचिक बड़ाइक उनके परिवार से मिलने गए. उन्होंने कहा, “कई मतदाता एसआईआर के डर से आत्महत्या कर चुके हैं. इस बार काम के दबाव में एक बीएलओ की मौत हो गई. वे हिंदी भाषी हैं. काम करना मुश्किल था. शांति मुनि के एक बेटा और एक बेटी है. बेटी की शादी हो चुकी है. एक खुशहाल परिवार बिखर गया है. चुनाव आयोग को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी.” इससे पहले, पूर्वी बर्दवान के कालना में भी काम के दबाव में एक बीएलओ की मौत हो गई थी.
BLO की मौत से बिफरीं ममता, लगाए ये आरोप
इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मालबाजार में एक बीएलओ की मौत पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “मैं इस घटना से स्तब्ध हूं. एसआईआर के लिए काम करते हुए एक बीएलओ ने आत्महत्या कर ली. एसआईआर शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है.”
उन्होंने आगे लिखा, “जिस काम को पूरा होने में तीन साल लगते थे, वह अब राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए दो महीने में हो रहा है. बीएलओ पर अमानवीय दबाव डाला जा रहा है.” उन्होंने पुनः इस ‘अनियोजित’ प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग की.

