विनायक चतुर्थी (आषाढ़ माह )

रायपुर. आज यानि 22 जून आषाढ़ माह में अमावस्या तिथि के बाद पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस दिन व्रत रख पूजा की जाती है।और विधि-विधान से गौरी पुत्र श्री गणेश की पूजा की जाती है। गणपति बुध्दि -सुख -समृद्दि के देवता माना जाता है। जहां भगवान गणेश का वास होता है। वहां रिद्दी-सिद्दी और शुभ लाभ भी विराजते हैं। इसलिए कहा जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखने और पूजा करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विनायक चतुर्थी का व्रत करने से जातकों को समस्त प्रकार के विध्न और संकट दूर हो जाते हैं। हर माह में दो चतुर्थी पड़ती हैं। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की तिथि।

हिन्दू पंचाग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते है। इस समय ज्योतिषी गणना के अनुसार चतुर्थी बुधवार 3 बजकर 09 मिनट से शुरू होकर गुरुवार शाम 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगी।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि

-गणेश जी की फोटो, लाल कपड़ा, जेनऊ, कलश, नारियल, पंचामृत,पंचमेवा, गंगाजल, रोली, मौली धागा, आम का पत्ता
– विनायक चतुर्थी वाले दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें।
– भगवान गणेश को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर भगवान गणेश को साफ वस्त्र पहनाएं।
– घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें।
– गणेश भगवान को सिंदूर लगाए।
-गणेश भगवान को दूर्वा अतिप्रिय होता हैं। ऐसे में इस दिन गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें।
– गणेश जी को पीले वस्त्र, लड्डू -मोदक का भोग लगाएं।
– पूजा के समय भगवान गणेश जी को सिंदूर दूर्वा नारियल मोदक कुमकुम हल्दी अर्पित करें।
-गणेश चालीसा का पाठ करें।
-ॐ गं गणपते नमः का 108 बार जाप करें।
– पूजा के आखिरी में आरती जरूर करें।
-इस पवन दिन पर भगवान गणेश का अधिक से अधिक ध्यान करें।
-अगर आप व्रत रख सकते हैं। तो इस दिन व्रत करें।

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