नौकरी के झांसे में आने से बचें, लाखों गंवाने के बाद होश में आने से भला क्या फायदा

रायपुर। प्रदेश में इन दिनों विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी लगवा देने का झांसा देकर लाखों रुपए, बेरोजगारों से ठग लेने की खबरें आम होने लगी है। जिससे अल्पशिक्षित- शिक्षित दोनों प्रकार के बेरोजगारों उनके परिजनों को सावधान रहना होगा।
राज्य के अंदर शिक्षा का ग्राफ(स्तर) तेजी से बढ़ते जा रहा है। ऐसे में स्वाभाविक है कि पढ़ लिखकर ज्यादातर युवा सुरक्षित, आरामदायक सरकारी नौकरी चाहते हैं। जो कतई संभव नहीं। वजह साफ है। पद कम (नगण्य) आवेदक उससे सौ डेढ़ दो या हजार गुना तक ज्यादा हैं। हर बेरोजगार की ख्वाहिश रहती है कि किसी अच्छे महकमे (विभाग) में छोटी-मोटी या अच्छी नौकरी मिल जाए।
उक्त नगण्य पद की प्राप्ति हेतु प्रतिस्पर्धी परीक्षा बाबत जमकर मेहनत करने से आम बेरोजगार बचते-बिदकते हैं। वे शार्टकट रास्ता ढूंढते हैं। जैसा कि स्नातक पाठ्यक्रम करते वक्त ऐन -केन प्रकारेण 100 में से 33-34 प्रतिशत अंक लाकर उत्तीर्ण हो जाना यानी स्नातक (ग्रेजुएट) का लेबल चिपक (लग) जाना जबकि प्रतिस्पर्धा परीक्षा में 100 में से 95- 90 अंक लाना होता है। यानी श्रेष्ठता। शार्टकट या चोरी छिपे लक्ष्य प्राप्ति के लिए (पद) वह (बरोजगार) पैसा देने तैयार रहता है। ऐसे युवाओं के परिजन भी घर की माली-हालत सुधारने, नियमित अच्छी तनख्वाह पद के लालच में आ जाते। जाने-अनजाने लोगों पर भरोसा कर झांसे में आकर हजारों- लाखों रुपए देते हैं। रुपए नहीं रहने पर उधार या लोन, घर गिरवी रखकर। बदमाश, ठग, लुटेरे झांसेबाज, जालसाज आदि ऐसे मुर्गे (लोगों) की तलाश में रहता है।
यह स्पष्ट कर देना अत्यावश्यक होगा कि पढ़े-लिखे बेरोजगार खुद एवं अल्प शिक्षित के पालक, किसी तरह का प्रलोभन, झांसा या कोई भी भरोसा दिलाता है तो वे संबंधित विभाग के अधिकारी, प्रमुख या एसडीओ, कलेक्टर, पुलिस अधिकारी से एक बार जरूर संपर्क कर अपनी सोच-निसंकोच जाहिर कर वस्तुस्थिति से अवगत कराये। समुचित समाधान मिलेगा। बेरोजगार एवं परिजन हजारों-लाखों गंवाने के बजाय यदि उपरोक्त उपाय कर लें तो फायदे में रहेंगे। दूसरी ओर कोई भी विभाग का अधिकारी किसी एजेंट या पहचान वाले व्यक्ति को- ऐसे किसी के पास (बेरोजगार) नहीं भेजता कि नौकरी लग जाएगी- पैसा दे दो।
शिक्षा प्राप्त कर लेने (उपाधि सहित) का मतलब या नहीं होता कि हर किसी को सरकारी या प्रायवेट नौकरी मिल जाए या शिक्षा केवल नौकरी के लिए नहीं हैं। बल्कि जीवन को अच्छे तरीके से, आदर्शमय, ईमानदारी के साथ मेहनत करके जीने के लिए है। जीवन संवारने के वास्ते है। अच्छा व्यवसाय (चाहे छोटा हो ) कर प्रतिष्ठित जीवन जी सकते हैं। खूब मेहनत कर बड़ा व्यवसायी बन सकते हैं। नौकरी करने नहीं देने वाला (व्यवसायी) बनने का प्रयास करें। पढ़-लिखकर किसी लालच, प्रलोभन के चलते झांसेदरों के झांसे, झूठे-भरोसे, गलत रास्ता अपनाना-अशिक्षित होने से गया गुजरा है। एक अनपढ़ भी किसी को किसी कार्य के लिए पैसा ठोक बजाकर पतासाजी कर देता है। जो उसकी समझदारी है।