केंद्र ने महरा-महार को अनुसूचित जाति में किया शामिल : सीएम बघेल और पूर्व सीएम रमन, दोनों ने की थी पहल

रायपुर। केंद्र ने राज्य की दो उप-जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का फैसला किया है। यह निर्णय लंबे समय से चली आ रही विसंगति को दूर करेगा जिसके कारण महार समुदाय के आधे हिस्से को अक्षर और उच्चारण में भिन्नता के कारण दलित के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी।
छत्तीसगढ़ के महरा और महार उप-समूहों को एससी सूची में शामिल किया जाएगा जिसे केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय संसद के आगामी मानसून सत्र में लाएगा। यह पता चला है कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भूपेश बघेल सरकार की सिफारिश पर अपनी सहमति दी। इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 31 मई को अपनी बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
बताया जा रहा है कि महार, महरा जाति को महार, मेहरा तथा मेहर के पर्यायवाची के रूप में शामिल किया जाएगा। वे छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जाति की सूची में पहले से मौजूद नामों के ध्वन्यात्मक रूप मात्र हैं। इस कदम से एक लंबे समय से चली आ रही शिकायत का समाधान हो जाएगा, जिसके तहत छत्तीसगढ़ में महार आबादी का लगभग आधा हिस्सा अनुसूचित जाति दर्जे से वंचित था। इससे उन्हें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के साथ-साथ अनुसूचित जाति के लिए उपलब्ध अन्य सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ध्वन्यात्मक विसंगति के कारण महार, महरा के अनुसूचित जाति के दर्जे से छूट जाने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। महरा, मेहर समाज की आबादी छत्तीसगढ़ में करीब 6 लाख है। जबकि मध्यप्रदेश में उक्त तीनों नाम से उप जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा पहले ही मिल चुका है। केंद्र सरकार ने ठीक विधानसभा चुनाव के पहले यह फैसला किया है।