कलकत्ता हाईकोर्ट ने एसईसी सहित राज्य और केंद्र सरकार से मांगा शपथपत्र

पश्चिम बंगाल ,कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग राज्य सरकार और केंद्र सरकार को कदाचार का आरोप लगाने वाली तीन याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों से निपटने के लिए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के परिणाम अब सामने आ रहे हैं , जिसमें टीएमसी का बढ़त एक बार फिर साफ दिख रहा है। चुनाव संबंधी हिंसा के संबंध में कलकत्ता हाईकोर्ट में तीन जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। जिन पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। वहीं अदालत ने राज्य चुनाव आयोग (एसईसी), राज्य सरकार और केंद्र सरकार को कदाचार का आरोप लगाने वाली तीन याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों से निपटने के लिए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव और नतीजों की घोषणा उन मामलों के संबंध में उसके अंतिम आदेशों के अधीन होगी, जिनकी वह मतदान के दिन चुनावी कदाचार के आरोपों पर सुनवाई कर रही है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि अब मामला अदालत के पास है, अब चुनाव का संचालन और परिणामों की घोषणा, इस रिट याचिका में पारित किए जा सकने वाले अंतिम आदेशों के अधीन होगी।

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य चुनाव आयोग को उन सभी उम्मीदवारों को इस पहलू की जानकारी देनी चाहिए जिन्हें निर्वाचित घोषित किया गया है। आठ जुलाई को पंचायत चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा और चुनावी कदाचार का आरोप लगाते हुए, याचिकाकर्ताओं ने एसईसी को लगभग 50,000 बूथों पर पुनर्मतदान कराने का निर्देश देने की बात कही है। 696 बूथों पर पुनर्मतदान हुआ और मतपत्रों की गिनती 11 जुलाई को शुरू हुई।

एक याचिकाकर्ता ने चुनाव के दिन कथित बड़े पैमाने पर कदाचार दिखाने वाले वीडियो प्रदर्शित किए थे, उसे बुधवार तक एसईसी, राज्य और केंद्र सरकारों के वकीलों को वीडियो की एक प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 19 जुलाई को होगी।

एसईसी पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसका मानना है कि आयोग की प्रतिक्रिया पर्याप्त नहीं है और बुधवार को भी उसका कोई भी अधिकारी उसके वकील को आवश्यक निर्देश देने के लिए अदालत में मौजूद नहीं था।अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि आयोग सक्रिय क्यों नहीं है, खासकर तब जब अदालत पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रही थी और पहला फैसला 13 जून को सुनाया गया था। अदालत ने पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय ग्रामीण चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए कई आदेश पारित किए थे। यह जानकर हैरानी हो रही है कि नतीजे घोषित होने के बाद भी राज्य कई जगहों पर भड़की हिंसा पर काबू नहीं पाया।

कोर्ट ने बंगाल ग्रामीण चुनावों को अमान्य घोषित करने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी है
,कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए संविधान व कानून के बुनियादी सिद्धांतों का पालन न करने के कारण 2023 के पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव को अमान्य घोषित किया जाए। अदालत ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को हटाने की प्रार्थना को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी प्रार्थना स्वीकार्य नहीं है क्योंकि यह एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है।

 

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