एक हफ्ता सब्जी खरीदना-खाना बंद कर दें – बुजुर्गों की सलाह..!

0 दावा थोक सब्जी वाले आत्मसमर्पण कर देंगे
0 सब्जियां अघोषित कोल्ड स्टोरेज में छिपाने का आरोप
रायपुर। सब्जियों के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं, जिस पर किसी शासन- प्रशासन का लगाम नहीं है। थोक व्यापारी लगातार कम उत्पादन, परिवहन में दिक्कतों को वजह बता पल्ला झाड़ ले रहे हैं। यह स्थिति- देश भर में देखी जा रही है। स्थिति से निपटने के लिए बुजुर्ग, अनुभवी सलाह देते हैं कि एक हफ्ते सब्जी खरीदना खाना बंद कर देना चाहिए। थोक वाले समर्पण कर देंगे। इस बीच बोरे बासी, दाल रोटी, भात-दाल चावल चीला आदि खाएं।
राजधानी रायपुर में शनिवार को चिल्हर में सब्जियों की कीमतें इस तरह रही टमाटर 130 -150, फूलगोभी 125- 140,धनिया 160, हरी मिर्च 160-190, अदरक 225-240, भिंडी 80-90, बरबटी 110-130, परवल 80-90 कुंदरू 55-60, करेला 100 से 110 भाजी तमाम प्रकार 5 से 10 रुपए प्रति जुड़ी। प्याज 30, आलू 25, केला 50-60, लौकी 40-60, भाटा 60-70 कद्दू 30-50, तोराई 40-60, कटहल 60 -80 आदि।
रायपुर थोक सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि देश में पहले भीषण गर्मी और अब भीषण बारिश के चलते उत्पादन कम हुआ है। इसी की वजह से भाव बढ़े हुए हैं। छत्तीसगढ़ में बाहर से माल आता है, ट्रांसपोर्ट चार्ज भी बढ़ा है। सब्जी भाव ज्यादा है। जो एक माह तक नहीं उतरने वाले नहीं, बल्कि और बढ़ सकते हैं। नई फसल आने पर भाव गिरेगा। जानकारों का कहना है कि गर्मी की समाप्ति-वर्षा ऋतु का आगमन सब्जी के नाम पर संक्रमण काल है। सब्जी व्यापारी हर वर्ष इस वक्त दाम बढ़ाकर तरीके से मुनाफा कमाते हैं। दोष कम उत्पादन एवं परिवहन भाड़ा को मढ़ देते हैं। जबकि उत्पादक को (किसान) कुछ नहीं मिल पाता, मुश्किल से लागत निकलती है।
अन्य लोगों का कहना है कि माह भर से सब्जी- भाजी के दामों में आग लगी हुई है। पर शासन- प्रशासन थोक सब्जी वालों के कोल्ड स्टोरेज की जांच-पड़ताल नहीं करता। सच तो यह भी है कि प्रशासन को दर्जनों कोल्ड स्टोरेज (अघोषित) का पता ही नहीं है। जहां सब्जियां बड़े पैमाने पर स्टोर करके छिपाकर रखी जाती हैं। दाम चढ़ने पर यहां से माल धीरे-धीरे बाहर निकालते हैं।
कुछ बुजुर्गों, अनुभवियों का कहना है कि आमजनों को सब्जियां खरीदना खाना एक हफ्ते भर बंद कर देना चाहिए। दाल- रोटी, चावल रोटी, भात,बोरे बासी, खाना चाहिए। बाघरा हुआ भात, रोटी, चीला खाकर हफ्ते भर गुजारा करें। थोक वाले खुद ही समर्पण कर देंगे। जब उनका माल सड़ने लगेगा। इनका यह भी आरोप है कि सोची-समझी गई रणनीति के तहत दाम बेतहाशा बढ़ाये गए हैं। ताकि बाद में 20-25 रुपए उतारकर सहानुभूति बटोरी जाए। कम होने या करने की फिर सामान्य से दुगुना -ढाई गुना दाम पर बेची जाए। और उसे स्थिर रख मुनाफा डबल कर लिया जाए। यह हर साल का इनका ट्रेंड है।