NDA और INDIA पार्टी से दूर इनका अपना है वर्चस्व, जानें इन 9 दलों को
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दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनावों के मद्दे नजर देश की तमाम राजनितिक पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।
18 जुलाई का दिन देश के अधिकांश पार्टियों के लिए अहम दिन रहा। एक तरफ बेंगलुरु में कांग्रेस सहित 26 दलों का महाजुटान हुआ तो दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली में बीजेपी की अगुवाई में NDA के 38 दलों की मेगा मीटिंग हुई। इन दोनों बैठकों से 9 बड़ी सियासी पार्टियों ने खुद को दूर रखा।
मौजूदा 17वीं लोकसभा में इन सभी दलों के कुल 59 सांसद हैं, जो कुल सांसदों का 11 फीसदी है। 2019 के चुनावों में इन दलों को मिलाकर कुल 10.71 फीसदी वोट मिले थे।
जिन दलों ने सत्ताधारी NDA गठबंधन और उसके खिलाफ बने नए INDIA गठबंधन से खुद को अलग रखा, उनमें मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP), पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल, तेलंगाना की सत्ताधारी और के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारतीय राष्ट्र समिति, आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल, हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल और असम की AIUDF शामिल है। मौजूदा 17वीं लोकसभा में इन सभी दलों के कुल 59 सांसद हैं, जो कुल सांसदों का 11 फीसदी है। 2019 के चुनावों में इन दलों को मिलाकर कुल 10.71 फीसदी वोट मिले थे।
बहुजन समाज पार्टी
उत्तर प्रदेश में अपना बड़ा जनाधार रखने वाली बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यूपी के अलावा सटे राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी बसपा का कुछ इलाकों के मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव रहा है। दलित और मुस्लिम मतदाताओं पर मायावती की पकड़ मजबूत मानी जाती है।
साल 2019 में मायावती ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। तब बसपा को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और उसके खाते में कुल 3.62 फीसदी वोट आए थे। मौजूदा परिस्थितियों में अगर मायावती किसी भी गठबंधन से समझौता करती है तो उसे इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
बीजू जनता दल
NDA के पुराने साथी रहे और कई मौकों पर एनडीए से बाहर रहकर बीजेपी के संकटमोचक बनने वाले नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल ने भी फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस पार्टी का ओडिशा में बड़ा जनाधार है। मौजूदा लोकसभा में उसके 12 सांसद हैं। ओडिशा से कुल 21 सासद चुनकर आते हैं। 2014 में बीजेडी ने 20 सीटों पर कब्जा किया था। उसे दोनों चुनावों में करीब 1.7 फीसदी वोट मिले थे और उस राज्य के विधानसभा चुनाव में 45 फीसदी वोट मिले थे।
भारत राष्ट्र समिति
तेलंगाना की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति के मुखिया और राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव लंबे समय से गैर कांग्रेसी गैर भाजपाई गठबंधन की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने दोनों गठबंधनों से समान दूरी बनाकर रखी है और आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ने का ऐलान किया है। मौजूदा समय में उसके 9 लोकसभा सांसद हैं। 2019 में बीआरएस (तब टीआरएस थी) को 1.25 फीसदी वोट मिले थे।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP)
आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी YSRCP के मुखिया जगनमोहन रेड्डी ने भी अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। लेकिन बीजेपी से उसकी नजदीकियां बढ़ रही है फिलहाल लोकसभा में उसके 22 सांसद है और 2019 में उसे 2.53 फीसदी वोट मिले थे। आंध्र प्रदेश के अलावा तेलंगाना में भी इस दल का प्रभाव माना जाता है
AIMIM और AIUDF
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी को भी इंतजार था कि 26 दलों के विपक्षी कुनबे में उसे शामिल होने का न्योता मिलेगा लेकिन उन्हें भी निराशा हाथ लगी है। पार्टी का तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार और कर्नाटक में जनाधार माना जाता है। फिलहाल लोकसभा में उसके दो सांसद हैं। 2019 में उसे 0.20 फीसदी वोट मिले थे।
इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक
इसी तरह असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के भी विपक्षी दल वाले गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद थी लेकिन फिलहाल पार्टी ने खुद को अलग रखा है। पार्टी पहले भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में रह चुकी है। फिलहाल लोकसभा में उसके एकमात्र सांसद हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में उसे 0.23 फीसदी वोट मिले थे।
जेडीएस
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस कभी कांग्रेस के साथ तो कभी बीजेपी के साथ गिलकर सरकार बना चुकी है। इस बार भी वह बीजेपी की तरफ टकटकी लगाए हुए है लेकिन मंगलवार को हुई एनडीए की बैठक में शामिल होने का उसे न्योता नहीं मिल सका। अब पार्टी ने कहा है कि वह एकला चलेगी लेकिन संभावना है कि लोकसभा चुनाव आते-आते उसकी बीजेपी से दोस्ती हो जाए। फिलहाल लोकसभा में उसके एकमात्र सांसद है। 2019 में कांग्रेस के साथ मिलकर जेडीएस ने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 0.56 फीसदी ही वोट हासिल रुप थे।
शिरोमणि अकाली दत
बीजेपी की पुरानी सहयोगी पार्टी और पंजाब में लंबे समय तक शासन करने वाली शिरोमणि अकाली दत की फिर से बीजेपी से नजदीकियां बढ़ रही है लेकिन फिलहाल वह एनडीए गठबंधन में शामिल नहीं हुई है। 2020 में किसानों के मुद्दे पर SAD ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था और केंद्र में मंत्री पद से हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। मौजूदा लोकसभा में उसके दो सांसद है। 2019 में उसे कुल 0.02 फीसदी वोट मिले थे।
इंडियन लोकन्दत
उधर हरियाणा की इंडियन लोकन्दत भी किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं है। फिलहाल लोकसभा में उसके एक भी सांसद नहीं है। 2018 में उसे सिर्फ 0.04 फीसदी वोट ही मिले थे लेकिन हाल के दिनों में पार्टी का वर्चस्व फिर से हरियाणा में बढ़ने लगा है।