क्या छत्तीसगढ़ पुलिस कर्मियों के साथ होगा न्याय..!

छत्तीसगढ़ न्यूज :

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छत्तीसगढ़ विधानसभा में गृह मंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस विधायक चातुरीनंद द्वारा उठाए गए सवाल को स्वीकार कर लिया है कि पुलिस कर्मियों को अन्य की तुलना में कम वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।

छत्तीसगढ़ न्यूज : छत्तीसगढ़ विधानसभा में गृहमंत्री विजय शर्मा ने कांग्रेस विधायक चातुरीनंद के उठाए प्रश्न पर स्वीकार किया है कि पुलिस कर्मियों को वेतन, भत्ता,और दीगर सुविधाएं अन्यों की अपेक्षाकृत कम मिलता है। साथ ही उन्होंने कहा है कि भत्तों के पुनरीक्षण के लिए अंतर विभागीय समिति गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसकी अनुशंसा पर पुलिस कर्मियों के भत्तों में बढ़ोत्तरी की जाएगी।

गृहमंत्री ने स्वीकारी सच्चाई

एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार महीनों पहले अपनी रपट में उपरोक्त ममला बेबाकी से उठाया था। साथ ही इससे पड़ रहें प्रभावों की संक्षिप्त चर्चा भी की थी। बहरहाल शायद पहली बार किसी गृहमंत्री ने सच को स्वीकार है एवं ततसंबंधी निराकरण की बात कही है। राज्य की पुलिस के काम के घंटे भले 8 घंटे हो पर उनकी ड्यूटी कभी भी कहीं पर भी एवं निर्धारित समयावधि से ज्यादा वक्त लगाई जाती रही है। यहां यह भी बता देना गलत नही होगा कि अपना न्यायोचित मांगों को लेकर पुलिसकर्मी धरना-प्रदर्शन, हड़ताल,सामूहिक अवकाश, पेन डाउन आदि कम नही उठा सकते। जबकि उनके समकक्ष दूसरे विभागों के कर्मी आए दिन उचित-अनुचित अनावश्यक मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर सरकारी कामकाज को प्रभावित करते हैं जिसका खामियजा जनता भुगतती
है। इतना ही नही उन्हें हड़ताल अवधि का वेतन भी देर-सबेर सरकार दे देती है।

पुलिस कर्मियों को कम वेतन और भत्ते मिलते हैं

पुलिस-प्रशासन की ड्यूटी की अनिवार्यता बताने की जरूरत नही है। उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। अगर उन्हें वेतन, भत्ता एवं अन्य सुविधा कम मिलती है तो स्वाभाविक है कि उनकी कार्यक्षमता, इच्छा शक्ति जरूरतें सीधे-सीधे प्रभावित होती हैं। पर नियम से बंधे होने की नाते वे भी कुछ बोल नही पाते।

पुलिसकर्मी की कार्यशैली प्रभावित हो सकती है

उपरोक्त स्थिति में उसका परिवार सीधे तौर पर प्रभावित होता है। जिसका असर पुलिसकर्मी की कार्यशैली पर पड़ सकता है. यदि प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ता है तो उसके कारणों का विश्लेषण करते समय उपरोक्त विषय को भी ध्यान में रखना चाहिए। अन्य विभागों के कर्मचारी प्रतिदिन 10 से 5 ड्यूटी करके तथा शनिवार एवं रविवार को साप्ताहिक अवकाश पाकर अपना पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन आसानी से व्यतीत करते हैं। इसके उलट पुलिसकर्मी काम के बोझ तले दबे रहते हैं। समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक इसका असर पुलिस कर्मियों पर पड़ता है। बहरहाल, देखने वाली बात यह है कि क्या राज्य सरकार अपने महत्वपूर्ण अंग के साथ न्याय कर पाती है?

(लेखक डा. विजय)

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