नवरात्र पर्व उत्सव 2023 : ध्वनि विस्तार नहीं कार्यक्रमों की अधिकतम समयावधि रात 10 तक हो -जानकार
नवरात्र पर्व उत्सव 2023 : ध्वनि प्रदूषण-विस्तार पर खुद-ब-खुद प्रतिबंध लग जाता
नवरात्र पर्व उत्सव 2023 : रायपुर शारदीय नवरात्र पर्व पर आदर्श चुनाव आचार संहिता का ग्रहण लग रहा है। नवरात्र पर्व उत्सव 2023 पूरे 9 दिन शहर समेत समूचे प्रदेश में दुर्गात्सव की धूम रहेगी। गरबा- डांडिया, पंडवानी, रामचरितमानस, देवी जस गीत, जगराता कार्यक्रमों पर चुनाव आयोग की नजर रहेगी।
राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश बाद जिला निर्वाचन आयोग ने पुलिस प्रशासन को निर्देश जारी कर रखा है कि रात 10 से सुबह 6 बजे तक डीजे, धुमाल, लाउड स्पीकर आदि ध्वनि विस्तारक यंत्र प्रतिबंधित करें। अन्यथा की स्थिति में जब्ती प्लस कार्रवाई। निर्देश मुताबिक जानकारी पुलिस-प्रशासन ने दुर्गात्सव समितियाें को प्रदाय कर दी है।
अब देखना यह है। कि अपने ही आदेश-निर्देश का परिपालन हो रहा है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग क्या राज्य निर्वाचन आयोग, जिला निर्वाचन आयोग या पुलिस प्रशासन कर पाएगी। इसमें सबसे बड़ी बाधा समयावधि परिसीमा की है। राजधानी समेत समूचे प्रदेश में डांडिया, गरबा, जगराता, जस गीत, पंडवानी रामचरितमानस आदि कार्यक्रम शाम से नहीं बल्कि देर शाम रात 9 बजे के करीब प्रारंभ होते हैं। और चार-पांच घंटा चलते हैं। कई जगह तो अलसुबह तक सही मायनों में तो खा-पीकर रात 10 बजे से उपरोक्त कार्यक्रमों के मध्य आयोजकों एवं दर्शकों प्रतिभागियों में भारी जोश उत्साह रहता है। इस स्थिति में क्या ध्वनि प्रदूषण, ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर नियमानुसार रोक लग पाएगी। इसे लेकर जानकार संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि पहला-निर्वाचन आयोग प्लस, जिला प्रशासन पुलिस ने कार्यक्रम आयोजन पर समयावधि तय नहीं करके गलती की है। ध्वनि विस्तार पर जरूर रात 10 से सुबह 6 तक पाबंदी लगाई गई है। जानकार आगे कहते हैं कि- पूछते हैं आप कार्यक्रम रोक नहीं रहे हैं। ऐसे में कब- कहां -किस कौन मोड़ पर ध्वनि प्रदूषण होगा। कहां नहीं जा सकती। यदि कार्यक्रम चलेगा तो ध्वनि प्रदूषण या ध्वनि विस्तार को आशंका बहुत रहेगी। कार्यक्रम धर्म-समुदाय से जुड़ा मुद्दा है। लिहाजा कड़ाई से आदेश, निर्देश का परिपालन मुश्किल होगा। ऐसा ही कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों को रोकना मुश्किल होगा। जानकारों का यह भी कहना बेहतर होता कार्यक्रमों को समय सीमा रात 10 बजे तक होती -या रखते। तब न बांस होता (कार्यक्रम) और न बांसुरी बजती (ध्वनि विस्तार)। वर्तमान आदेश-निर्देश आधा अधूरा है।
(लेखक डॉ. विजय )