17 जुलाई 1857 की वो लड़ाई,10 घंटे में बिछ गयी थी 180 लाशें, मनाया जायेगा 166वां बलिदान दिवस

मेरठ। इतिहास के पन्नो पर लिखा गया वह बलिदान दिवस लोगों को आज भी याद है। 17 जुलाई 1857 को मेरठ के बसौद गांव पर अंग्रेजों ने अचानक हमला कर दिया था, लेकिन यहां के ग्रामीणों ने पुरे साहस के साथ अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। इस जंग में बसौद गांव के 180 ग्रामीणों ने अपने प्राण की आहुति दे दी। कल 17 जुलाई को शहीदों की शहादत पर उनकी पुण्य स्मृति में बलिदान दिवस मनाया जाएगा।
अंग्रेजों ने बरपाया था बसौद पर कहर
अंग्रेजी फौज में 17 जुलाई 1857 को बसौद गांव के जामा मस्जिद पर हमला कर दिया। 10 घंटे अंग्रेजी फौज के साथ ग्रामीणों ने डटकर मुकाबला किया था , जिसमें 180 लोग शहीद हो गए थे। अंग्रेजों ने बरगद के पेड़ पर 10 लोगो को फांसी पर लटका दिया था| गांव के इसी जामा मस्जिद से क्रांतिकारियों को गोला बारूद और अनाज का सप्लाई किया जाता था। जब अंग्रेजों ने जामा मस्जिद पर हमला किया तब वहां दो गाजी भी ठहरे हुए थे, वह भी अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। मस्जिद के अंदर 10 टन अनाज को अंग्रेजों ने आग लगा दी थी। उस दिन बारिश हो रही थी, मस्जिद के पास स्थित तालाब के पानी का खून से लाल हो गया था। मस्जिद से निकलने के बाद अंग्रेजों ने गांव को आग के हवाले कर दिया। ग्रामीणों ने कुछ महिलाओं व बच्चों को खेतों में छुपा दिया था उन्हीं से यह गांव फिर से आबाद हुआ।
युवा चेतना मंच के द्वारा हर साल 17 जुलाई को बलिदानों को श्रद्धांजलि अर्पित कर गांव के गौरवशाली इतिहास के प्रति जागरूक कर आपसी भाईचारे, देशभक्ति की भावना के लिए प्रेरित करता है। मेधावी बच्चों, शिक्षको, समाजसेवियों को सम्मानित किया जाता है |