शपथ पत्र के चलते, जीपीआर सर्वे, खुदाई की बदौलत मिले तब मंदिर के अवशेष – प्रो. बुद्ध रश्मि मणि
अयोध्या में कोर्ट में पेश किए गए शपथ पत्र के चलते जीपीआर सर्वे कराया गया तो पता चला कि तोड़ी गई मस्जिद के नीचे अवशेष थे। अदालत ने यह पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया कि अवशेष किस चीज के थे।
रायपुर न्यूज : रवि विश्वविद्यालय के 27 वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. बुद्ध रशिम मणि ने समारोह के एक भेंट में बताया कि अयोध्या में कोर्ट में प्रस्तुत एक शपथ पत्र के चलते जीपीआर सर्वे हुआ तब पता चला कि ध्वस्त मस्जिद के नीचे अवशेष हैं। अवशेष किस चीज के हैं जानने के लिए कोर्ट ने जांच के निर्देश दिए।
प्रोफेसर बुद्ध रशिम मणि ने आगे बताया कि कोर्ट के निर्देश पर 2.7 एकड़ जमीन में 5 बाई 5 की 90 ट्रेंचेस लगाई। तब मिला कि ध्वस्त मस्जिद की उत्तर से दक्षिण की लंबाई 27 मीटर थी, लेकिन मस्जिद के नीचे की संरचना की लंबाई 60 मीटर मिली। जिसके पैलेस (महल) या मंदिर के अवशेष होने की संभावना जताई गई। इस पर आगे खुदाई हुई और मंदिर होने के ऐसे साक्ष्य मिले जो राम जन्मभूमि होने के आधार बने।
उन्होंने बताया की खुदाई में 9वीं से लेकर 12 वीं सदी तक के अवशेष मिले। जिनमें मंडलाकार मंदिर सबसे पहले बना था। उसके बाद जो संरचना बनी वो 60 मीटर लंबी पिलर बेस थी। लेकिन एक शपथ पत्र ने दूसरे पक्ष से कहा था कि मस्जिद खाली जमीन पर बनी हुई थी। उस स्थल पर कोर्ट के आदेश से जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार ) सर्वे हुआ। इस बीच प्रोफेसर मणि ने काशी के ज्ञानव्यापी मस्जिद पर कहा कि कोर्ट में एएसआई ने 800 से ज्यादा पृष्ठ की रिपोर्ट सौंपी है। ज्ञानव्यापी मस्जिद के निचले हिस्से में देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली है और साक्ष्य मिले है जिससे निष्कर्ष निकाला गया है कि वह मंदिर था। मंदिर होने के बात में कोई संशय नहीं है। पश्चिम भाग में तो मंदिर का हिस्सा बचा हुआ ही हैं।
रामसेतु विषय को लेकर वे कहते हैं कि रामसेतु को संरक्षित रखना बायो डायवर्सिटी के लिए भी जरूरी है। अगर उसे काट दिया जाएगा। उसके बीच से जहाज जाएंगे तो ऐतिहासिक पक्ष खत्म हो जाएगा। और बायोडायवर्सिटी इन बैलेंस हो जाएगी।