विश्वविद्यालयों – महाविद्यालयों में खुशी- गम दोनों का माहौल

0 खराब परीक्षा नतीजों के साथ नए प्रवेश, सफल विद्यार्थी

रायपुर। प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयों, उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में इन दिनों ऑनलाइन प्रवेश एवं ऑनलाइन रिजल्ट ने खुशी एवं गम दोनों का माहौल बना दिया है।

दरअसल 3 वर्षों बाद ऑफ लाइन वार्षिक-सेमेस्टर परीक्षाएं होने से, तमाम पाठ्यक्रमों के परीक्षा नतीजे प्रभावित हैं। जो अब (पूर्ववत) 3 वर्ष पूर्व की तरह (सन 2019) स्वाभाविक आ रहे हैं। यह स्थिति समस्त विश्वविद्यालयों में है। जहां के शिक्षण विभाग, या अध्ययन शाला, संबद्ध महाविद्यालय में हुई वार्षिक सेमेस्टर परीक्षाओं के नतीजे महज एक चौथाई से कम (20%) एक तिहाई (33%) आधे -अधूरे (40 – 50%) या 60 % या अधिकतम दो तिहाई(66 -70%) आ रहे हैं। यानी उत्तीर्ण-सफल हो रहे हैं। स्नातक कक्षाओं के नतीजे ज्यादा खराब हैं। बनिस्बत स्नातकोत्तर कक्षाओं को उपरोक्त नतीजे की वजह से ज्यादातर विद्यार्थी फेल या एटी केटी या पूरक आ रहे हैं। स्वाभाविक है कि अगर 50% से ज्यादा परीक्षार्थी एटी केटी, पूरक, फेल हो जाते हैं तो रिजल्ट खराब माना-कहा जाएगा। ऐसे नतीजे लिए विद्यार्थियों में गम, दुःख स्वाभाविक है। गम का माहौल ज्यादातर वरिष्ठ विद्यार्थियों में हैं। खैर ! परीक्षा नतीजों के लिए परीक्षार्थी, शिक्षक-प्रबंधन तीनों दोषी हैं।

दूसरी ओर शिक्षण संस्थाओं में नए प्रवेश हो रहे हैं। मनमाफिक ( पंसदीदा) विषय, कालेज मिल जाए तो खुश कौन नहीं होगा। अगर नहीं मिला, तो भी स्कूल के बाद कालेज, विश्वविद्यालय, शिक्षण विभाग, अध्ययन शाला में प्रवेश प्रसन्नता तो देगा। नया माहौल जो मिलेगा। इसी तरह जो परीक्षार्थी प्रथम वर्ष से द्वितीय या द्वितीय से तृतीय या स्नातक से स्नातकोत्तर प्रथम, द्वितीय वर्ष में प्रवेश ले रहे हैं वे भी खुश हैं।

बहरहाल प्रदेश के वरिष्ठ शिक्षाविदों का कहना है कि नतीजे अब कोविड -19 पूर्व वाले वर्षों की तरह स्वभाविक आ रहे हैं। अगर खराब हैं तो इस हेतु विद्यार्थी के साथ शिक्षक, प्रबंधन भी जवाबदेह हैं। शिक्षक -प्रबंधन अब स्वमूल्याकंन -आंकलन कर जिम्मेदारी लें।

About The Author

© Copyrights 2024. All Rights Reserved by : Eglobalnews