Lok Sabha Election: बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होंगी SoniaGandhi

Lok sabha Election/ SoniaGandhi: लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है। वैसे-वैसे विपक्ष भी पहले से ज्यादा मजबूत और एक साथ दिख रहा हैं। विपक्षी नेताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 23 जून को पटना में पहली बैठक की थी। इस बैठक में फैसला किया गया कि विपक्षी एकता की अगली बैठक पहले शिमला में होगी। लेकिन फिर जगह बदलकर इसे बैंगलोर कर दिया गया। अब खबर है कि 17 से 18 जुलाई तक बैंगलोर में होने वाले इस बैठक में CONGRESS की पूर्व अध्यक्ष और UPA की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस बैठक में शामिल होंगी।

24 दलों के नेता होंगे बैंगलोर की बैठक में शामिल
सूत्रों की मुताबिक 17 से 18 जुलाई तक होने वाले विपक्ष की महाबैठक में इस बार 24 दलों के नेता शामिल होंगे। इससे पहले पटना में हुई बैठक में 15 दलों के 27 नेता शामिल हुए थे। लेकिन इस बार सप्रंग की अध्यक्षा सोनिया गांधी के अलावा MDMK, KDMK, VCK, RSP, मुस्लिम लीग, केरला कांग्रेस (जोसफ), केरला कांग्रेस (मणि) भी शामिल होंगी. ऐसे में इस बैठक में कुल 24 पार्टियों के शामिल होने की संभावना है।

कांग्रेस अध्यक्ष कर रहे बैठक की अगुवाई
बीजेपी के खिलाफ बनाए जा रहे महाबैठक की अगुवाई इस बार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर रहे हैं। उन्होंने बेंगलुरु में होने वाली बैठक के लिए 24 विपक्षी दलों के नेताओं को न्योता भेजा है। मीटिंग 17 जुलाई को शाम 6 बजे सभी के लिए डिनर रखा गया है। वहीं, 18 जुलाई को 11 बजे से बैठक शुरू होगी। कर्नाटक के डिप्टी सीएम शिवकुमार ने बताया था कि खड़गे ने विपक्षी नेताओं (opposition leaders) के साथ साथ सोनिया गांधी से भी बैठक में शामिल होने की अपील की है। वहीं, उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी भी बैठक में शामिल हो रही हैं।

नीतीश की अगुवाई में 15 दल के नेता हुए थे शामिल
इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुई महाबैठक में 15 दलों के 27 नेता शामिल हुए थे। इन दलों में जेडीयू, एआईटीसी, डीएमके, कांग्रेस,आप, झामुमो, एसएस-यूबीटी, एनसीपी राजद, सपा, सीपीआईएम, नेकां, पीडीपी, सीपीआईएमएल सीपीआई के बड़े नेता या अध्यक्ष शामिल हुए थे।

बदले गए है समीकरण
पटना में हुई महाबैठक के करीब 25 दिन बाद दूसरी बैठक होने जा रही है। लेकिन इस बैठक में आम आदमी पार्टी के आने पर संशय बना हुआ है। इसके पीछे कारण है कि अरविंद केजरीवाल केंद्र की अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष का साथ चाहते थे। इसमें वह सफल नहीं हो पाए थे। इसलिए उनके आने पर असमंजस की स्थिति है। वहीं शरद पवार की पार्टी NCP में अजित पवार के बगावत से पार्टी पूरी तरह अलग-थलग पड़ चुकी है। पार्टी दो धड़ों में बंट चुकी है और पार्टी का बड़ा धड़ा भाजपा के साथ जाकर मिल बैठा है। इतना ही नहीं अजित पवार ने एनसीपी पर भी दावा ठोक दिया है. एनसीपी की ये लड़ाई चुनाव आयोग में पहुंच गई है।

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