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राजधानी समेत समूचे प्रदेश में जन्माष्टमी पर्व की छटा बिखरी

वैष्णव धर्मालंबियों, साधुमार्गियों ने गुरुवार को पर्व मनाया

रायपुर। राजधानी समेत समूचे प्रदेश के वैष्णव धर्मालंबियों ,साधुमार्गियों एवं मंदिरों में गुरुवार को दिनभर जन्माष्टमी मनाई गई। शासकीय अवकाश होने के चलते बड़ी संख्या में लोग मंदिरों से आराध्य के दर्शनार्थ एवं उन्हें झूला झूलाने पहुंचे।

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गौरतलब है कि इस बार जन्माष्टमी, पर्व 2 दिन मनाई जा रही है। दरअसल बुधवार अपरान्ह 3 बजकर 37 मिनट पर अष्टमी लग गई थी। जो दूसरे दिन गुरुवार को रोहिणी नक्षत्र 10.25 बजे तक एवं अष्टमी तिथि शाम 4बजकर 14 मिनट तक है। चूंकि वैष्णव धर्मालंबी एवं साधुमार्गी अष्टमी की उदया तिथि पर जन्माष्टमी मानते हैं। यानी अष्टमी लगने के बाद होने वाले पहला सूर्योदय। इस हिसाब से गुरुवार बैठता है इसलिए दोनों वर्गों एवं वैष्णव धर्म से संबंधित श्री कृष्ण मंदिरों में जन्मोत्सव गुरुवार मध्य रात्रि 12 बजे मनाया जाएगा। इसके पूर्व दिन भर पर्व संबंधित आयोजन होते रहे। उधर बुधवार की रात्रि 12 बजे जन्माष्टमी मनाने वाले एवं संबंधित मंदिरों में गुरुवार को दिन भर कार्यक्रम चलते रहा। वजह रोहणी नक्षत्र पूर्वान्ह 10.25 बजे एवं अष्टमी शाम 4 बजकर14 मिनट तक होने की वजह से।

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बुधवार मध्य रात्रि जन्मोत्सव मनाने वालों ने बुध को व्रत रखा था। जबकि गुरुवार मध्य रात्रि को जन्मोत्स्व मनाने वालों ने गुरुवार को व्रत रखा।

बहरहाल शासकीय अवकाश जन्माष्टमी पर गुरुवार को रहा। लिहाजा ज्यादातर लोग दिन भर मंदिर पहुंचते रहे। आराध्य के दर्शनार्थ कतार लगी थी। प्रसादी पाने भी लाइन में भक्त खड़े थे। कई जगह बकायदा छप्पन भोग भंडारा (प्रसादी) व्यवस्था थी।

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इधर नन्हे-मुन्ने बच्चों को पलकों ने राधा-कृष्ण का परिधान पहना श्रृंगार उनके अनुरूप किया था। जिसकी वजह से आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। इस मौके पर नटखट बच्चों की मस्ती को श्री कृष्ण लीला से जोड़कर देखा जाता रहा। बड़े-बुजुर्गों युवाओं ने यथासंभव आराध्य अनुरूप परिधान या पीतांबर रंग (पीला) का परिधान धारण कर रखा था। शहर समेत समूचे प्रदेश में दिनभर जन्माष्टमी की धूम रही।

(लेखक डॉ. विजय)

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