हरेली पर्व पर, गेड़ियां बिकने पहुंची बाजार

हरेली पर गेड़ी चढ़ना रिवाज, बच्चे-किशोरों को है भाता

रायपुर। प्रदेश में 17 जुलाई को हरेली त्यौहार मनाया जाएगा। इस मौके पर गेड़ी चढ़ने-दौड़ने की परंपरा है। जिसके चलते हाट-बाजार में गेड़ी बिकने पहुंच चुकी हैं।

छत्तीसगढ़ के तमाम गांव-शहर, कस्बों में हरेली पर्व विधि-विधान से मनाया जाता है। इस दिन खेतों में कार्य नहीं होता दूसरे अर्थों में वर्जित है। ग्रामीण जन अपनी खेती उपकरण औजारों, गेड़ी की पूजा अर्चना कर विभिन्न पकवानों की भोग लगाते हैं। इस तारतम्य में गांव के अंदर तो ग्रामीण बांस से खुद ही परंपरागत तरीके से गेड़ी बना लेते हैं। पर शहरों, कस्बों में हाट-बाजार में गेड़ी बिकने आती है।

आमतौर पर गेड़ी 200 से 500 रुपए तक की बेची जा रही है। दरअसल छोटी, मंझोली, बड़ी गेड़ी का दाम अलग-अलग है। तो वही गेडियों को रंगा भी गया है। सजाया गया है। फिनिशिंग दी है। इस वजह से दाम सैकड़ों में है। वैसे एक बड़े बांस (मजबूत) से 1-2 गेड़ी बन जाती है। बच्चे-किशोर, युवा गेड़ी चढ़कर गांव में, गलियों में, बाजारों में घूमते-फिरते हैं। मैदानों-कच्चे मार्गों पर गेड़ी चढ़ना ज्यादा आनंददायक होता है। गेड़ी से सवार का गिरना अलग मजा देता है। इसका उत्साह उमंग कई दिनों तक बना रहता है। गांव-शहरों में गेड़ी स्पर्धा तक होती है। बड़ी गेड़ियां आकर्षण का केंद्र बनती हैं।

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