‘इंडिया’ गठबंधन को फिलहाल भंग कर देने का वक्त ..!
नीतीश बिहार में कांग्रेस-राजद महागठबंधन से अलग हो गए हैं और भाजपा के साथ जाकर मुख्यमंत्री पद बरकरार रखा है। लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर उन्होंने टिप्पणी की है कि वहां बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
India गठबंधन संकट : ‘इंडिया’ गठबंधन के सूत्रधार बिहार के मुख्यमंत्री जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के द्वारा पाला बदलते ही ‘इंडिया’ गठबंधन पर तुरंत पुनः विचार करने का वक्त है। नीतीश ने कांग्रेस- राजद महागठबंधन बिहार से अलग होकर, भाजपा का दामन पकड़ मुख्यमंत्री पद बरकरार रखा है। पर ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर टिप्पणी की है कि वहां बहुत कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। कोई कुछ कर नहीं रहा है। पिछले कुछ समय से गठबंधन में काफी कुछ सही नहीं चल रहा है। इसलिए ये फैसला लेना पड़ा है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश पर हमला बोलते हुए कहा है-
उधर कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश पर वार करते हुए कहा है कि देश में कई लोग हैं आयाराम- गयाराम जैसे चर्चा यहां भी है कि ‘इंडिया’ गठबंधन की पिछली बैठक में ममता बनर्जी द्वारा ‘इंडिया’ गठबंधन के अध्यक्ष पद हेतु मल्लिकार्जुन का नाम प्रस्तावित करने के बाद नीतीश कुमार खफा हो गए थे। आप नेता अरविंद केजरीवाल, समाज पार्टी नेता तेजस्वी यादव भी ममता की तरह नीतीश कुमार को ‘इंडिया’ गठबंधन का प्रमुख देखना नहीं चाहते थे। न ही पीएम चेहरे के तौर पर। यह बात नीतीश कुमार को नागवार गुजरी। उन्होंने संयोजक पद लेने से इंकार कर दिया।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अकेले लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं
उधर ममता पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती है। कांग्रेस को सीट नहीं दे रही हैं। तो पंजाब में सीएम मान ने (आप) कांग्रेस को सीट देने से मना कर दिया है। दिल्ली में भी फैसला नहीं हो पाया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी महज मुट्ठी भर सीट देने राजी है। मुंबई में उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार के घर पर ही सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। लिहाजा महाराष्ट्र लोकसभा सीट बंटवारा पर भी चर्चा नहीं हो पाई है।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए 17 राज्यों में सरकार में है –
बिहार में जदयू को अपने पाले में लाने के साथ ही भाजपा नीत एनडीए की 17 राज्यों में सरकार हो गई है। जिनमें बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, यूपी, गोवा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, अरुणाचल, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, सिक्किम शामिल है। ध्यान रहे कर्नाटक में भाजपा के साथ हाल में वहां के पूर्व सीएम ने हाथ मिलाया है। वे कांग्रेस में चले गए थे। उपरोक्त हालातों में महागठबंधन को सुचारू रूप से कायम रखना चुनौती पूर्ण है। कुछ प्रमुख सदस्य पहले ही कन्नी काट रहे हैं। उधर राहुल की भारत न्याय यात्रा को ममता बनर्जी समेत दूसरे कुछ दलों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। आमचुनाव हेतु महज3 माह रह गए हैं। सीटों का बंटवारा तो दूर-समुचित विचार-विमर्श मंथन तक नही हुआ। ‘इंडिया’ गठबंधन का न्यूनतम कार्यक्रम भी नहीं बन पाया है।
‘इंडिया’ गठबंधन पर पुनर्विचार करना चाहिए –
कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। उसे गठबंधन का हिस्सा बनने के पूर्व दस बार विचार-विमर्श मंथन करना चाहिए था। दूसरे दल उसके सहारे सीढ़ी चढ़ना चाहते रहे। पर सीट बंटवारे में आंख दिखा रहे हैं। चूंकि ‘इंडिया’ गठबंधन के सूत्रधार अलग हो चुके हैं। सीटों का बंटवारा राज्यों में नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में ‘इंडिया’ गठबंधन को भंग कर देना समझदारी होगी। फिर सभी दल अपने-अपने हिसाब से मुक्त होकर चुनाव लड़े। कांग्रेस का अपना ऐतिहासिक अस्तित्व है। चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधन बैठकर चर्चा करे। समय कम है। सीट बटवारा आसान काम नही है। दलों को अपने वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं को समझना सरल नहीं है। जो अरसे से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। बटवारे से दलों के मध्य भीतरघात की संभावना रहेगी। लिहाजा ‘इंडिया’ गठबंधन को पुनः विचार करना चाहिए। व्यर्थ समय जाया करे एवं मनमुटाव त्याग सभी 27 दल अलग-अलग लड़े। नतीजे आने के बाद गठबंधन हेतु बैठे। राहुल अपनी न्याय यात्रा जल्दी निपटाए। ताकि कांग्रेस के लिए प्रचार-प्रसार में जुट सकें।