श्री सीमेंट ग्रुप पर पड़ी आयकर विभाग की छापेमारी, 23000 करोड़ रुपये से ज्यादा के दस्तावेज किए गए जब्त

राजस्थान में श्री सीमेंट ग्रुप पर आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की गई। सूत्रों के अनुसार इन छापों से देश के सबसे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। आयकर के छापों में 23000 करोड़ रुपये से ज्यादा के फर्जीवाड़े के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। ग्रुप द्वारा प्रतिवर्ष 1200-1400 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किए जाने का मामला सामने आया है।
आयकर विभाग के अधिकारियों ने कहा कि छापे में मिले दस्तावेजों की जांच से पता चला है कि हर साल लगभग 1,200 से 1,400 करोड़ रुपये की कर चोरी की जाती थी।उन्होंने बताया कि आईटी विभाग के अधिकारियों को समूह के कर कटौती के दावों पर संदेह होने के बाद छापेमारी की गई।
24 से अधिक ठिकानों पर की छापेमारी
आयकर विभाग के जयपुर कार्यालय की एक टीम ने जयपुर, ब्यावर, उदयपुर, अजमेर और चित्तौड़गढ़ में श्री सीमेंट के 24 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी में 200 से ज्यादा आयकर अधिकारी और पुलिसकर्मी शामिल थे।आईटी अधिकारियों के मुताबिक, सीमेंट उत्पादन के लिए खरीदे गए कोयले और इसके लिए किए गए भुगतान के हिसाब-किताब में भारी अनियमितताएं थीं और विभाग ने नई तकनीक और सॉफ्टवेयर की मदद से इस धोखाधड़ी का पता लगाया। इस आधार पर, विभाग ने श्री सीमेंट द्वारा दावा की गई आयकर छूट और वास्तव में देय आयकर छूट के बीच अंतर पाया। इसी आधार पर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गई।आयकर विभाग के अधिकारियों ने यह भी कहा कि कुछ अन्य कंपनियां भी उनके रडार पर हैं और वे जल्द ही रियल एस्टेट और खनन कंपनियों और अन्य बड़े व्यापारियों पर सर्वेक्षण कर सकते हैं।
श्री ग्रुप के चेयरमैन ने छोड़ा कंपनी –
यह भी बताया गया कि सरपंच, ग्राम पंचायत और संबंधित स्थानीय निकायों द्वारा किए गए फर्जी समझौतों के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों को नुकसान हुआ और आयकर विभाग के अधिकारियों ने जालसाजी से संबंधित समझौता दस्तावेजों को भी जब्त कर लिया है।आयकर विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, जब इस मामले में ग्रुप के सदस्यों से पूछताछ की गई तो उन्होंने इस संबंध में कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया।छापेमारी के बाद श्री ग्रुप के चेयरमैन एचएन बांगुर और वाइस चेयरमैन प्रशांत बांगुर कंपनी छोड़ चुके हैं। बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान ग्रुप के ज्वाइंट प्रेसिडेंट अरविंद खीचा को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया लेकिन वह भी आयकर अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुए। अधिकारी फर्म के वरिष्ठ अधिकारियों से भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।