पीएम मोदी की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ से नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में रेलवे का कितना हुआ विस्तार?

रेल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो इंडियन रेलवे ने अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम में ऐतिहासिक प्रगति की है। यहां स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली यात्री ट्रेन मिज़ोरम को मिलने जा रही है।
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालते ही नॉर्थ ईस्ट (पूर्वोत्तर) को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों में व्यापक बदलाव करते हुए इस इलाके के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। इसका नतीजा है कि पिछले 11 वर्षों में पूर्वोत्तर भारत में उल्लेखनीय बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदला हुआ। जहा एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (NESIDS) जैसी प्रमुख योजनाओं के तहत नई सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों और डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से आर्थिक एकीकरण और राष्ट्रीय संपर्क को बढ़ावा मिला है।
स्वतंत्रता के बाद मिजोरम में पहली ट्रेन
रेल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो इंडियन रेलवे ने अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम में ऐतिहासिक प्रगति की है। यहां स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली यात्री ट्रेन मिज़ोरम को मिलने जा रही है। मणिपुर और नागालैंड तक भी रेल संपर्क का विस्तार किया गया है, जिससे इस क्षेत्र में यात्री आवागमन और माल ढुलाई क्षमता दोनों में वृद्धि हुई है।
2014 से पहले काफी सीमित थीं रेल सुविधाएं
2014 के बाद से पूर्वोत्तर राज्यों (नॉर्थ ईस्ट) विशेष रूप से मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा जैसे राज्यों में, जहां पहले रेल सुविधाएं सीमित थीं वहां रेलवे कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की गईं और उन्हें पूरा किया गया।
नॉर्थ ईस्ट में अहम रेल परियोजनाएं
- मिजोरम में रेलवे के विस्तार में बैरबी-सैरंग रेल परियोजना काफी अहम है। इस परियोजना के तहत 51.38 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के जरिए मिजोरम की राजधानी आइजोल को रेल नेटवर्क से जोड़ा गया है। इस परियोजना की आधारशिला 29 नवंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी, और इसे 10 जून 2025 को पूरा किया गया। इस परियोजना की कुल लागत 8,071 करोड़ रुपये थी, जिसमें 48 सुरंगें और 142 पुल (55 बड़े पुल सहित) शामिल हैं। यह लाइन म्यांमार सीमा तक विस्तार की योजना के साथ व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगी।
- मणिपुर में जिरीबाम-इम्फाल रेल परियोजना राजधानी इम्फाल को रेल नेटवर्क से जोड़ती है। इसका हिस्सा, नोनी ब्रिज (141 मीटर ऊंचा), 12 घंटे की यात्रा को 2 घंटे तक कम करता है। यह परियोजना भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच कनेक्टिविटी को मजबूत करती है। 2014 के बाद इस परियोजना में तेजी आई, और यह क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
- नगालैंड में रेल कनेक्टिविटी के लिए काफी काम किया गया। 15.42 किलोमीटर की नई रेल लाइन ने नगालैंड को व्यापार और परिवहन में तेजी प्रदान की। यह राज्य का तीसरा बड़ा रेलवे स्टेशन बनने की दिशा में अग्रसर है। इसने नगालैंड के दुर्गम क्षेत्रों को राष्ट्रीय नेटवर्क से जोड़ा, जिससे व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़े।
- मेघालय में भी रेल का विस्तार हुआ। 2014 के बाद मेघालय के नॉर्थ गारो हिल्स में पहली बार 21 वैगन की मालगाड़ी पहुंची, जिससे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तेज और सस्ती हुई।टेटेलिया-ब्यरनीहाट परियोजना में तेजी आई है।
- त्रिपुरा में भी रेलवे के विकास का काफी काम हुआ। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला पहले से ही रेल नेटवर्क से जुड़ी थी, लेकिन 2014 के बाद इसे और मजबूत किया गया। अगरतला से अखौरा (बांग्लादेश) तक की रेल लाइन पर काम शुरू हुआ, जो अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा। त्रिपुरा में रेल लाइनों का विद्युतीकरण 2014 के बाद तेजी से हुआ।
- अरुणाचल प्रदेश : अरुणाचल प्रदेश में नाहरलागुन तक रेल सेवा 2014 में शुरू हुई थी, और इसके बाद नेटवर्क को और विस्तार दिया गया। 2018 में असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगीबील ब्रिज का उद्घाटन हुआ, जो अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच रेल और सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ाता है।
- असम में गुवाहाटी और अन्य प्रमुख शहरों को जोड़ने वाली लाइनों का आधुनिकीकरण और विद्युतीकरण किया गया।
- सिक्किम मेंसिवोक-रंगपो रेल परियोजना (लंबाई: 44.96 किमी) पर काम चल रहा है, जो सिक्किम को रेल नेटवर्क से जोड़ेगी। इसका कुछ हिस्सा 2014 के बाद शुरू हुआ और प्रगति पर है।