केंद्र सरकार का प्रयास, हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज, केंद्र और राज्य दोनों उठाएंगे खर्च
केंद्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में काम कर रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महाराष्ट्र में दो, हिमाचल में तीन और उत्तर प्रदेश में 27 मेडिकल कॉलेजों पर काम चल रहा है।
छत्तीसगढ़ न्यूज : केंद्र सरकार-राज्य सरकारों के सहयोग से हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में कार्य कर रही है। ततसंदर्भ में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर महाराष्ट्र में दो, हिमाचल में तीन एवं उत्तर प्रदेश में 27 मेडिकल कॉलेजों पर काम चल रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करने की घोषणा की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले वर्ष सरकार ने 157 नए मेडिकल कॉलेजों की घोषणा की। जिनमें महाराष्ट्र में दो, हिमाचल में तीन, और उत्तर प्रदेश 27 मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने का यह पायलट प्रोजेक्ट है। जिसके आधार पर अब देश के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू किए जायेगे।
बताया जा रहा है कि विशेषज्ञ समिति में 12 सदस्य होंगे। जिनमें 6 सेवानिवृत्ति विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति का गठन आगामी लोकसभा चुनाव के पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय अयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) मिलकर करेगा। समिति के पास एक जिला एक अस्पताल को लेकर भी अपनी सिफारिश देने की जिम्मेदारी है। अभी देश में 17 राज्य ऐसे हैं जहां हर जिले में एक जिला अस्पताल नही है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दो तरह से नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना करने की योजना है। पहला तरीका 60:40 का है। जिसके तहत केंद्र और राज्य दोनों मिलकर उक्त अनुपात में खर्च करेंगे। दूसरा तरीका विभिन्न विभागों में मौजूदा अस्पतालों की बुनियादी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हुए कॉलेज खोले जायेगे।
केंद्र सरकार के दोनों कार्यकाल में अब तक मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 82% की वृद्धि की है, जो 2014 के पहले 387 से बढ़कर 704 हो गए हैं। इतना ही नहीं एमबीबीएस सीटों में 110% की वृद्धि के साथ अब 1लाख 7 हजार 948 सीट हो गई है। वही पीजी में भी 117 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो 2014 के पहले 31 हजार 185 से बढ़कर 67 हजार 802 हो गई है।
उपरोक्त क्रम में देखे तो प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की स्थिति में एमबीबीएस की सीट संख्या में दोगुनी-तिगुनी वृद्धि तय है। इसी तरह पीजी की सीटें बढ़ेगी। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता भी बढ़ जाएगी। इन सबका प्रत्यक्ष लाभ आमजनों खासकर ग्रामीण इलाकों एवं पिछड़े जिले के लोगों को मिलेगा। चिकित्सकों की संख्या में इजाफा होने से स्वास्थ्य सेवाएं निसंदेह बढ़ेगी तो वही मुफ्त स्वास्थ्य सेवा पर खर्च कम होगा। लोग स्वास्थ्य रहेंगे तो देश की राष्ट्रीय आय में इजाफा भी होगा। केंद्र के साथ राज्यों को मिलकर कार्य करना होगा।