थोड़ा गम हो तो मोमबत्ती -दियाबत्ती कर लो —-!

– भाइयों -बहनों मणिपुर अपने देश में है —-!
रायपुर। असंवेदन शीलता की पराकाष्ठा देखें मणिपुर जल रहा है -जन-जातीय वर्ग एक दूसरे को एवं सशस्त्र बल को गोली मार रहे हैं। पर उस मारे जा रहे बेकसूर लोगों को श्रद्धांजलि देने एक मोमबत्ती या दिया बत्ती की सूझ नहीं दिखती किसी में।
पता नहीं अपने देश प्रदेश के कितने प्रतिशत लोगों को मालूम हो कि मणिपुर भारत का एक महत्वपूर्ण अंग है। करीब डेढ़ माह से वहां आरक्षण को ले कर जन-जातीय समुदाय एक- दूसरे को मार काट रहे हैं, या गोली से भून दे रहे हैं। घरों में आग लगाई जा रही हैं- बचाव- सुरक्षा हेतु तैनात पुलिस,अर्धसैनिक बल, सशास्त्र बल के जवान मारे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मौत का तांडव जारी है।
स्कूल- कालेज- प्रतिष्ठान प्रायः बंद है। वहां इसके चलते महंगाई डेढ़ गुनी बढ़ गई है। उग्र जनजातीय समूहों ने पखवाड़े भर पूर्व 2 हजार अत्याधुनिक हथियार सशस्त्र बल के शिविर -थाना से लूट लिए थे। जिसकी बरामदी अब तक नहीं हो पाई है। महज 38 लाख की आबादी वाले चीन से लगे इस महत्वपूर्ण राज्य का जैसे फिलहाल कोई माई -बाप न हो। विधायकों सांसदों- मंत्रियों के घरों पर आग लगाई जा रही हैं।
इधर देश-प्रदेश के तथाकथित बिना काम धंधे वाले व्यस्त लोग हो या कुछ संपन्न- भौतिकता, मोबाईल,आधुनिकता वादी लोग मॉल रेस्तरां जाए बगैर जिनका खाना नहीं पचता। पार्टी अपने हित के लिए राजनीति करने वाले हो या फिर अचानक हाथ लगे गरमा -गरम मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन तोड़फोड़ प्रतिक्रिया देने वाले किसी को मणिपुर के जलने की फ्रिक नहीं, बेकसूर मारे गए लोगों के लिए 2 मिनट मौन धारण या मोमबत्ती -दियाबती जलाने की सूझ नहीं हैं।