छाता बरसाती तिरपाल के बाजार में रौनक

– सभी रेंज – क्वालिटी में उपलब्ध

मानसून अपने आने के साथ छाते- बरसाती -तिरपाल भी ले आता है। यह दीगर बात है कि इन चीजों को लेने हाट- बाजार जाना पड़ता है। स्वाभाविक है कि इनके विक्रेताओं के चेहरों पर रौनक उभरने लगी हैं।

राजधानी समेत प्रदेश के तमाम शहरों, कस्बों, पंचायतों में मौसमी धंधा करने वाले अब छाता, बरसाती, तिरपाल बेच रहें हैं। बड़े शहर वाले थोक विक्रेताओं ने सीधे कंपनी से माल मंगाया है, तो चिल्हर वालों ने थोक वालों से एवं छोटे या फुटपाथ पर धंधा करने वालों ने थोक -चिल्हर दोनों से यथाशक्ति (क्षमता) माल खरीदा।

गोल बाजार, मालवीय रोड, बैजनाथ पारा, पुरानी बस्ती, कटोरा तालाब, टिकरापारा, तेलीबांधा, फाफाडीह, गुढ़ियारी, आमापारा, लाखेनगर, अश्वनीनगर, शंकर नगर, पचपेढ़ी नाका आदि इलाकों में क्रमशः रेडीमेड कपड़ा बेचने वाले, मनिहारी-जनरल समान विक्रेताओं, मौसमी धंधा करने वालों एवं फुटपाथ व्यवसाय वालों ने छाता, बरसाती, तिरपाल अपनी दुकानों पर सजा ली हैं।

बाजार में आमतौर पर छाता छोटा 80 से 250 रुपए रेंज का है। जो अलग-अलग कलर प्रिंट, अलग-अलग सिस्टम वाला है। मध्यम आकार वाला 120 से 300 रुपए तक। जिसमें कलर, प्रिंट, ब्लेक तीनों हैं। इसी तरह बड़ा छाता यानी (छोटा परिवार वाला) छाता160 से 350 रुपए तक। इससे ज्यादातर काले कलर वाला छोटे छातों में हेंडल प्लास्टिक, मध्यम प्लास्टिक, मेटल जबकि बड़े छाते में मेटल के ही हेंडल ज्यादा दिखते हैं।

बरसाती छोटे बच्चों के लिए 50 से 60 से 300 रुपए, बड़े बच्चों के वास्ते 80- 90 से 350 रुपए, बड़ों के लिए 150 से 450 रूपये रेंच या इससे भी अधिक 800 से 2000 रुपए दाम पर। इन सबमें कलर, प्रिंट, चेन, बटन सिस्टम है। नई रेंज में फ्राक (2पीस) मैक्सी (सिंगल)पीस युवतियों को भा रही है। युवकों हेतु 2 पीस पेंट शर्ट वाली बरसाती उपलब्ध है। ।

तिरपाल घरों के लिए, दुकानों, चाय, नुक्क्ड़, छोटे-मोटे धंधा करने वालों, टू व्हीलर, फोर व्हीलर, कव्हर, मालवाहक के लिए अलग-अलग प्रिंट रेंज क्वालिटी में उपलब्ध है। जो आमतौर पर 200 से 5000 रुपए तक तक की कीमत के हैं।

उधर ग्रामीण, पंचायत एवं छोटे शहरों के व्यापारियों ने थोक या बड़े चिल्हर विक्रेताओं से माल उठा लिया है। बहरहाल सीजन के साथ बिक्री शुरू हो गई है। ग्रामीण इलाकों में ज्यादा डिमांड बताई जा रही है। वजह ज्यादातर कामकाजी वर्ग का फील्ड में रहकर कार्य करना हैं। खेती-बाड़ी में भी इसी तरह शहर में दिहाड़ी , घरों में काम करने वालों के मध्य छाता ज्यादा चलन में है। उधर ताला-चाबी बनाने वालों, सायकल स्टोर वालों एवं मोचियों ने छाता दुरस्त (मरम्मत) करने का काम अलग से शुरू कर दिया है।

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