तीनों संकायों के विषय बराबर कला संकाय को सरल मान लेना गलत सोच शिक्षक कड़ाई बरतें तो ज्यादातर विद्यार्थी फेल होंगे

रायपुर। विश्वविद्यालयों में कला, वाणिज्य, विज्ञान, आदि संकाय, स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए आमतौर पर रखे जाते हैं। जिनमें कला संकाय को सरल सुन -मान ज्यादा विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। यह अवधारणा (सोच) गलत है। जबकि तीनों संकाय अपनी-अपनी जगह बराबर हैं।

स्कूली शिक्षा उपरांत विद्यार्थी जब महाविद्यालय, विश्वविद्यालय की दहलीज पर कदम रखता है तो उसके सामने विषय चयन का गंभीर मुद्दा रहता है। उस वक्त वह सुनता है कि कला संकाय सरल है। जबकि वाणिज्य कठिन और विज्ञान संकाय ज्यादा कठिन। ऐसे में जो विद्यार्थी विज्ञान, गणित,वाणिज्य से डरते हैं। मैथ्स स्टेटेटिक्स, एकाउंटेंसी, फिजिक्स आदि से बचना चाहते हैं। यानी कथित झमेला में पड़ना नहीं चाहते वे कला संकाय तहत बी.ए.में प्रवेश ले लेते हैं। कुछ तथाकथित शिक्षक बंधु भी उन्हें (विद्यार्थी) पूछने पर कला संकाय की सलाह देते हैं।

उपरोक्त अवधारणा (सोच) पूर्णतः गलत है। कला स्नातक में व्याकरण, शब्द कोष, वाक्य विन्यास, अल्प विराम,पूर्ण विराम, वाक्य रचना, पैरा रचना आदि का ज्ञान होना जरूरी है। अन्यथा नंबर कटते हैं। यह दीगर बात है कि परीक्षा में कला संकाय का शिक्षक जटिलताओं,गूढ़ार्थों, व्याकरण आदि को एक तरह से नजर अंदाज कर विद्यार्थी को न्यूनतम उत्तीर्णंक (पासिंग नंबर) दे देता है। यही आगे बरकरार रहने से नींव कमजोर पड़ जाती है। सच तो यह भी है कि कला संकाय अंतर्गत हिंदी साहित्य, भाषा को छोड़कर दीगर विषय वाले विद्यार्थियों (स्नातक) का हिंदी ज्ञान आधा अधूरा रहता है। कई बार तो हिंदी साहित्य लेने वाले विद्यार्थी का भी यही हाल दिखता है।

उपरोक्त तीनों संकाय के विभिन्न विषय का प्रश्न पत्र परीक्षा में हल करना पड़ता है। जिसकी जांच सच मायने में विषय विशेषज्ञ द्वारा की जाती है। तीनों संकायों के शिक्षाविदों का कहना है कि स्नातक पाठ्यक्रम की तीनों संकाय के विषय गंभीर प्रवृत्ति वाले हैं। यदि कला संकाय के विशेषज्ञ वाकई पूर्ण विशेषता से कापी (उत्तर पुस्तिका) जांचे तो हर साल कला संकाय का परीक्षा नतीजा साइंस, कामर्स की तुलना में कम (गिरा) आएगा। यानी ज्यादातर फेल हो जाएंगे। ऐन -केन रटकर, घोटकर पढ़ने-लिखने वाले की हिंदी पर पकड़ दूर हो जाती। पास भले हो जाए। अगर विश्वविद्यालयों की परीक्षा में कला पाठ्यक्रमों का परीक्षा नतीजा उक्त संदर्भ में देखा जाना चाहिए। कला संकाय के औसत विद्यार्थियों के चलते विषय विशेषज्ञ या हिंदी वृहद ज्ञान वाले कमतर होते जा रहे नतीजा है कि देश में साहित्यकार घट रहे हैं।

About The Author

© Copyrights 2024. All Rights Reserved by : Eglobalnews