विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम संबंधित पुस्तिका प्रकाशित कराए…
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रियायती दरों पर, विद्यार्थियों को दे, आमदनी जुटाए
रायपुर। प्रदेश के अंदर संचालित राजकीय विश्वविद्यालय विविध प्रकार के कोर्स चला रहें हैं। परंतु विभिन्न कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम में क्या-क्या रखा गया है, इस पर प्रकाशन कर विवरणिका विद्यार्थियों को नहीं दिया जा रहा है। जिसका गलत प्रभाव औसत दर्जे के विद्यार्थियों पर पड़ रहा हैं।
गौरतलब है कि एक समय था जब पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय एवं गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर अपने द्वारा संचालित कोर्सेस के तहत कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम बकायदा पुस्तिका के तौर पर छपवाते थे। जिन्हें रियायती दरों 10-20 रुपए के हिसाब से बेचा करते थे। इसका दो लाभ होता था। पहला विश्वविद्यालयीन विद्यार्थियों, संबंध्द महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को यह पता चल जाता था कि किस-किस विषय में क्या-क्या पाठ्यक्रम रखा गए हैं। वह रियायती दर पर ततसंबंधी पुस्तिका रूपी पाठ्यक्रम को खरीद कर साल भर अपने साथ रखता था। उस आधार पर वह अध्ययन करता-तैयारी करता था। वह पूरे समय सजग बना रहता था। इस व्यवस्था से विश्वविद्यालय को लाखों रुपए की आमदनी (आय) होती थी। परंतु पिछले दशक-डेढ़ दशक से पाठ्यक्रम रूपी पुस्तिका छापना प्रदेश के तमाम राजकीय विश्वविद्यालयों ने बंद कर दिया। प्रबंधन इसकी जगह वह अपनी वेबसाइट पर पाठ्यक्रम डाल कर इतिश्री कर ले रहा है।आम (औसत) विद्यार्थी नेट से वंचित हैं। उसे वर्ष भर ढंग से पता नहीं रहता की फलां-फलां विषय में क्या-क्या पढ़ना है। जो शिक्षक ने पढ़ा दिया या जितने दिन विद्यार्थी कालेज आते हैं, उतने पाठ्यक्रम को जान लेता है, शेष पर गंभीर नहीं होता। इसका बेहद बुरा प्रभाव औसत विद्यार्थी पर पड़ता है। वह बगैर पाठ्यक्रम जाने-समझे पढ़ता रहता है। जिसके चलते गंभीर होकर तैयारी नहीं करता। इसका नुकसान उसे ही उठाना पड़ता है। इस वक्त बमुश्किल 5 -10 प्रतिशत विद्यार्थी नेट से सिलेबस निकालते होंगे। जबकि पाठ्यक्रम विद्यार्थी के वास्ते टेबल/ कमरे में होना चाहिए। हजारों रुपए शिक्षण एवं परीक्षा शुल्क देने वाला विद्यार्थी सस्ते रियायती दरों पर उक्त सिलेबस जुटा सकता है। जबकि तमाम राजकीय विश्वविद्यालयों के पास अपना प्रकाशन विभाग भी है।