आवारा घूमते पशुधन की समुचित व्यवस्था करें निगम – स्मार्ट सिटी

– नीलामी या गोद
रायपुर। राजधानी होने के बाद रायपुर स्मार्ट सिटी की सूची में है। बेशक सड़कों का हाल किसी से छिपा नहीं है, पर सड़क- चौराहों, कालोनियों समेत गली- मोहल्ले में आवारा पशुधन घूमते आसानी से देखे जा सकते हैं। जो आमतौर पर जूठन, बचे-खुचे फेंके गए बासी खाद्य पदार्थ या पॉलीथिन के पैकेट खाकर भटक रहे हैं।
कहने को तो मानसून आ चुका है परंतु क्रांकीट के जंगल यानि शहर के अंदर घास जमीन नजर नहीं आती, जो है वह भी खेल मैदान या बाग-बगीचे हैं। खाली पड़े प्लाटों, नजूल जगहों पर कुछ घास उग आई है। मोहल्ले कालोनी या सड़कों- चौराहों पर दिखने वाले गाय-बैलों को मालिकों ने चरने के नाम पर खुला छोड़ रखा है। इन्हें जूठन, बासी फेंका खाद्य सामग्री, पॉलीथिन खाने की ऐसी लत लग गई है या लापरवाहों के चलते लगा दी है कि ये अब उसी के ताक में घूमते- फिरते रहते हैं। कहीं थोड़ी बहुत घास (अपवाद स्वरूप) दिख जाये तो ठीक से चरते तक नहीं। इनकी आदत कमोबेश वैसे ही हो गई है, जैसे कि पालतू तोता। जिसे छोड़ भी दो तो ढंग से उड़ नहीं पाता और वापस आ जाता है।
खैर ! निगम को स्मार्ट सिटी के साथ मिलकर या तो इन पशुधनों को शहर से बाहर अन्यंत्र रखने की व्यवस्था करनी चाहिए। या फिर कॉलोनी-मोहल्ले वासियों के मध्य एक शर्त के साथ नीलाम कर देना चाहिए- शर्त यह हो कि पशुधन को घर पर बांध कर रखेंगे। चारा-पानी खुद खिलायेंगे अन्यथा की स्थिति में जप्ती की कर्रवाई होगी। प्रदूषित खाद्य पदार्थ समेत झिल्ली खाने से इनका स्वास्थ्य खराब रहता है। और दूध भी प्रदूषित होता है। या लोगों से निश्चित रकम जमाकर गोद लेने कहा जाए पर ऐसे जानवर (गोद) को रखने की जिम्मेदारी निगम, प्लस स्मार्ट सिटी उठाए।