ई. ऑटो रिक्शा में महिलाओं की भागीदारी अनुपातिक तौर पर तेजी से बढ़ रही –

-प्रति किलोमीटर 8 से 10 ई. ऑटो रिक्शा
– अनपढ़- पढ़ा-लिखा दोनों वर्ग दौड़ रहे हैं

रायपुर। अनपढ़ एवं पढ़े-लिखे दोनों वर्गों के बेरोजगार युवाओं के लिए ई. ऑटो रिक्शा आय का अच्छा संसाधन बन गया हैं। इसकी बानगी राजधानी समेत प्रदेश के दूसरे शहरों कस्बों में देखी जा सकती है।

ई. ऑटो रिक्शा के सड़क पर उतरते ही पुरुष वर्ग का इसमें वैसा ही कब्जा दिखा था- जैसा कि पेट्रोल-डीजल वाले पुरानें ऑटो रिक्शों में था। पर यह नया दबदबा ज्यादा दिन नहीं चल पाया। क्योंकि ई.ऑटो रिक्शा चलाने युवतियां महिलाएं भी आगे आने लगी हैं। बेशक पुरुष -महिलाएं चालक अनुपात अभी 90 -10 के करीब नजर आ रहा है, पर महिलाओं का प्रतिशत ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।

दरअसल सरकार ने शुरुआती दौर में बेरोजगार युवतियों -महिलाओं को ई.ऑटो रिक्शा मुफ्त में दिया। बाद में छूट के साथ फाइनेंस करवाया। इस बीच पुराने डीजल- पैट्रोल वाले ऑटो रिक्शा फ्यूल (ईंधन) की कीमत में लगातार वृद्धि, शासन द्वारा 15 -20 वर्षो पुरनी गाड़ियों को परिवहन सुविधा से बाहर करना।आए दिन उन पर चलानी कर्रवाई। आदि के चलते ऑटो- चालक मालक ई. ऑटो रिक्शा भी ओर तेजी से आकृष्ट हो रहें हैं। इसकी खासियत हल्की होना जल्दी पिकअप लेनी वाली हवादार, नियंत्रित ऑटो नगण्य बिजली से चार्ज होने वाली 4 -4 बैटरी एक बार चार्जिंग में 80-85 किलोमीटर चलना शामिल है।अन्य खर्च नगण्य है।

उल्लेखनीय है की ई.ऑटो रिक्शा सहज -सरल तरीके से उपलब्ध होने,चलाने में आसानी,पुलिस द्वारा धरपकड़ कमतर किया जाना।आदि से ई. रिक्शा की ओर बेरोजगारों युवक-युवतियों का ध्यानाकर्षित हुआ। राजधानी में आज हर एक किसी के अंदर 8-10 ऑटो ई. रिक्शा दिखते हैं। हां जो लोग चोरी की बिजली उपयोग में लाते है वे ज्यादा कमा लेते हैं। वैसे फिलहाल हजार – बारह सौ कमाई हो जाती है। जिससे 2 -3 सौ रुपए बिजली,खर्च चाय पानी में जाता है।

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