दिल्ली शराब घोटाला केस, CAG रिपोर्ट में हुए कई बड़े खुलासे

दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को सीएम रेखा गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में हुए कथित शराब घोटाले की सीएजी रिपोर्ट पेश की। जानिए सीएजी की रिपोर्ट में क्या खुलासे हुए हैं?
दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को एलजी के अभिभाषण के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली में कथित तौर पर हुए शराब घोटाले से जुड़ी सीएजी की पहली रिपोर्ट विधानसभा में पेश की। इस बीच विपक्ष के विधायकों ने एलजी के अभिभाषण के दौरान जमकर हंगामा किया जिसके बाद सभी 22 विधायकों को सदन से सस्पेंड कर दिया गया और उसके बाद 21 विधायकों को तीन दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया। ऐसे में विपक्ष की गैरमौजूदगी में ही सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा हुई।
विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा शुरू करने से पहले कहा कि इस रिपोर्ट को पिछली सरकार ने छिपाने की कोशिश की थी। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली की शराब नीति में बदलाव करने से सरकार को 2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ है।
अब जानिए सीएजी रिपोर्ट में क्या खुलासे हुए हैं…
- सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की शराब नीति के कारण दिल्ली सरकार को 2,002.68 करोड़ रुपये का भारी राजस्व घाटा हुआ।
- नई शराब नीति में दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 को लागू नहीं किया गया।
- सरकार ने दिवालियापन, ऑडिटेड वित्तीय विवरण, बिक्री डेटा और अन्य राज्यों में घोषित थोक मूल्य, आपराधिक पृष्ठभूमि सत्यापन जैसे आवश्यक मानदंडों की जांच किए बिना लाइसेंस जारी किए।
- थोक विक्रेता मार्जिन को 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया।
- वित्तीय रूप से कमजोर संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए।
- आप सरकार ने 2021-22 की आबकारी नीति का ड्राफ्ट तैयार करते समय अपनी ही एक्सपर्ट्स समिति की सिफारिशों की अनदेखी की।
- शराब नीति में पारदर्शिता की कमी थी। नीति ने एक आवेदक को 54 शराब की दुकानों तक संचालित करने की अनुमति दी, पहले सीमा 2 थी।
- नई नीति ने 849 दुकानों के साथ 32 खुदरा क्षेत्र बनाए। लेकिन केवल 22 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए।
- आप की नीति ने निर्माताओं को एक ही थोक विक्रेता के साथ गठजोड़ करने के लिए मजबूर किया।
- केवल तीन थोक विक्रेताओं (इंडोस्पिरिट, महादेव लिकर और ब्रिडको) ने 71% से अधिक आपूर्ति को नियंत्रित किया।
- छूट कैबिनेट की मंजूरी के बिना या एलजी से परामर्श किए बिना दी गईं। यह कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
- MCD या DDA से अनिवार्य अनुमोदन के बिना कई क्षेत्रों में शराब की दुकानों को मंजूरी दी। निरीक्षण टीमों ने जोन 23 में 4 दुकानों को गलत तरीके से कमर्शियल क्षेत्रों में घोषित किया।
- 2022 की शुरुआत में MCD द्वारा सभी चार अवैध शराब की दुकानों को सील कर दिया गया था। इससे साबित होता है कि उचित प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया था।
- सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली आबकारी विभाग ने एल 1 लाइसेंसधारियों को महंगी शराब के लिए अपनी खुद की एक्स-डिस्टिलरी कीमत (ईडीपी) तय करने की अनुमति दी, जिससे कीमतों में हेरफेर हुआ।
- आबकारी विभाग ने लाइसेंस तब भी जारी किए, जब गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्टें गायब थीं या भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानदंडों का अनुपालन नहीं कर रही थीं।
- विदेशी शराब के 51% परीक्षण मामलों में, रिपोर्टें या तो 1 वर्ष से पुरानी थीं, गायब थीं, या उन पर कोई तारीख नहीं थी। जो बड़ी लापरवाही को दर्शाता है।
- आबकारी खुफिया ब्यूरो यानी EIB तस्करी के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई करने में विफल रही।
- FIR एनालिसिस से कुछ क्षेत्रों में बार-बार तस्करी के पैटर्न का पता चला। फिर भी सरकार कार्रवाई करने में विफल रही।
- आपूर्ति प्रतिबंधों, सीमित ब्रांड विकल्पों और बोतल के आकार की बाधाओं के कारण, अवैध देशी शराब का व्यापार फल-फूल रहा था।
- आबकारी कानूनों का उल्लंघन करने वाले शराब लाइसेंसधारियों को दंडित करने में AAP सरकार विफल रही।
- आबकारी छापे मनमाने ढंग से किए गए, जिससे कोई असर नहीं हुआ। रिपोर्ट गलत थीं, और कारण बताओ नोटिस भी गलत तरीके से तैयार किए गए थे।
- लेबल की सुरक्षा बढ़ाने के लिए आबकारी चिपकने वाले लेबल की परियोजना को लागू नहीं किया जा सका।