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Norway: योग दुनिया के लिए भारत का सबसे बड़ा उपहार, नॉर्वे की राजदूत ने की PM मोदी की सराहना

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Norway: 21 जून को 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उल्लेख करने वाले पीएम मोदी के पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए नॉर्वे के राजदूत ने अपना वीडियो और तस्वीरें भी साझा कीं।

Norway रायपुर। दुनिया भर में लाखों लोगों को एकजुट करने वाले योग पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ सहमति जताते हुए नार्वे की राजदूत मे-एलिन स्टेनर ने योग को स्वस्थ जीवन का प्रमुख आधार बताया है। उन्होंने कहा कि योग दुनिया को भारत द्वारा दिए गए सबसे महान उपहारों में से एक है।

उन्होंने एक्स पर पीएम मोदी की पोस्ट पर 21 जून को 10 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जिक्र पर यह टिप्पणी की। नार्वे राजदूत ने अपना वीडियो और तस्वीरे भी साझा की। पीएम मोदी ने लिखा अब से 10 दिन बाद दुनिया योग के 10 वें अंतर्राष्ट्रीय दिवस को मनाने के लिए तैयार है। योग ने संस्कृतिक और भौगोलिक सीमाओं को पार किया है और दुनिया भर के लोगों को समग्र कल्याण की खोज में विश्व को एकजुट किया है। पीएम के जवाब में मे-एलिन स्टेनर ने लिखा- मैं पीएम से पूरी तरह सहमत हूं योग दुनिया के लिए भारत के सबसे बड़े उपहारों में से एक है। जब संयुक्त राष्ट्रसंघ ने योग को लेकर बढ़ावा दिया तो मैंने शीर्षसन करने का लक्ष्य रखा। क्या आप मेरे साथ हो?

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा था प्रस्ताव

27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया था। पीएम मोदी ने कहा था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है, तो आएं एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।’

प्रस्ताव तीन महीने में पारित हो गया

प्रस्ताव के बाद 11 दिसंबर 2014 को 130 देशों ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के तत्कालीन राजदूत अशोक मुखर्जी ने उस वक्त बताया था कि भारत के प्रस्ताव पर 130 देशों का समर्थन अपने आप में एक कीर्तिमान है, तीन माह के अंदर इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया। यह भी संयुक्त राष्ट्र की ओर से पारित किए गए प्रस्तावों में सबसे कम समय लेने वाला है, खास बात ये है कि प्रस्ताव के पारित होते वक्त समर्थन करने वाले देशों की संख्या 130 से बढ़कर 177 हो गई थी।

(लेखक, डा. विजय)

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