कपिल – मदन की रुसवाई जायज..!

– एक कार्यक्रम में रायपुर पहुंचे थे
– क्रिकेट- संबंधी सवाल टाल गए

रायपुर. देश के नामचीन क्रिकेटर द्वय (दोनों) पूर्व कप्तान कपिल देव एवं मदन लाल के साथ भारतीय क्रिकेट-कंट्रोल बोर्ड ने, उनके रिटायर होने के उपरांत उपेक्षा भरा व्यवहार किया है। जिसका नतीजा रहा है कि नई पीढ़ी के क्रिकेटरों को दोनों महान खिलाड़ियों के अनुभव का समुचित लाभ नहीं मिल पाया और न ही भारतीय क्रिकेट संस्थान को।

देश के लिए पहला वर्ल्ड कप कपिलदेव के नेतृत्व (मदन भी टीम में थे ) में भारत ने जीता था। वन डे वर्ल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट सन 1983 में कपिल की अगुवाई वाली टीम ने, सबको विस्मृत (आश्चर्यचकित) करते हुए पूर्व विश्व विजेता क्लाइव लायड की अगुवाई वाले वेस्टइंडीज को परास्त किया था। तब पूरा देश झूम उठा था। जिसके 28 वर्ष बाद दूसरा वर्ल्ड कप 2011 में धोनी की अगुवाई में भारत ने जीता था, जिस पर फिल्म भी बन चुकी है।

कपिल एवं मदन रायपुर में एक निजी मॉल के कॉर्निवाल के उद्घाटन एवं शो मैच हेतु रायपुर पहुंचे थे। दोनों प्रसिद्ध आल राउंडरों ने इस दौरान क्रिकेट को लेकर पूछे गए तमाम सवालों के जवाब नहीं दिए। वे यह कहकर कि कुछ वर्षों से क्रिकेट नहीं खेल रहें है, दूर हैं, अतः किसी भी तरह की प्रतिक्रिया-किसी भी संदर्भ में नहीं देंगे। हालांकि उन्होंने स्वीकार कि वे भारतीय टीम का प्रत्येक मैच आम लोगों की तरह देखते हैं। यहां बता देना जरूरी होगा कि ई. ग्लोबल न्यूज डॉटकॉम आमंत्रण नहीं होने से उक्त अनौपचारिक पत्रकार वार्ता में मौजूद नहीं था।

दरअसल यहां पर पत्रकारों से चूक हो गई। वे दोनों महान खिलाड़ियों का दर्द भांप नहीं पाए। उनकी रुसवाई को पकड़ नहीं पाए। दोनों का मन टटोल नहीं पाए। इन दोनों का रिटायरमेंट बाद न तो भारतीय क्रिकेट-कंट्रोल बोर्ड ने ध्यान रखा, न ही इनके लंबे अनुभव का फायदा उठाया। इतना ही नहीं, नई पीढ़ी को भी इनसे (कपिल मदन) दूर कर दिया। अंदर की बात यह है की बोर्ड न दोनों को एक तरह स उपेक्षित किया। उनके जूनियरों को भारतीय टीम के प्रबंधन में नियुक्त किया गया।

कपिल-मदन बड़े स्वाभिमानी खिलाड़ी रहे हैं। बोर्ड का रवैय्या बर्दास्त के बाहर चला गया। यही वजह है कि दोनों खिलाड़ी रूसवाई में है। जो गलत भी नहीं है। बोर्ड अगर चाहता तो इनके अनुभव का लाभ युवा या नई पीढ़ी के क्रिकेटरों को दिला सकता था।

जिन खिलाडियों के रग-रग में क्रिकेट दौड़ता रहा, जो दीवानगी की हद पार कर गए। तेज गेंदबाज (मध्यम) होने से पैर के घुटनों में असहनीय दर्द होने के बावजूद रुमाल बांध मैच खेला, जो राष्ट्र के लिए ईमानदार रहे। इनके योगदान को बोर्ड ने भूला सा दिया। आईपीएल को भारत में लाने का श्रेय कपिल को जाता है, परन्तु उन्हें ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। स्वाभिमानी देशभक्त खिलाड़ी ऐसे स्थिति में (रुसवाई) भला क्या प्रतिक्रिया देश के क्रिकेट पर देगा। भारतीय क्रिकेट संस्थान का उपरोक्त बर्ताव-किसी के गले नहीं उतर सकता।

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