सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान पर विधेयक ला सकती है सरकार, दोषी तत्वों से होगी नुकसान की भरपाई

सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से सख्ती से निपटने के लिए विधि आयोग सिफारिश कर सकता है कि उन्हें (आरोपियों को) नुकसान की भरपाई करने के बाद ही जमानत दी जाए।
Law Commission: सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान से जुड़े मामला पर सुप्रीम कोर्ट कई बार नाराजगी व्यक्त कर चुका है। सन 2007 में शीर्ष कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण कानून को कड़ा बनाने के निर्देश दिए थे। विधि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश व विभिन्न हाईकोर्ट के फैसलों को देखते हुए कानून में बदलाव पर मंथन शुरू कर दिया है।
विधि आयोग सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम ला सकता है-
दरअसल विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से सख्ती से निपटने के लिए विधि आयोग सिफारिश कर सकता है कि उन्हें (आरोपी) नुकसान की भरपाई करने के बाद ही जमानत दी जाए। बताया जा रहा है कि जल्द विधि आयोग लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम में अहम बदलावों की सिफारिश करते हुए सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने वालों को जमानत संबंधी प्रावधान कड़े करने का प्रस्ताव रख सकता है। माना जा रहा है कि ऐसे मामलों में लोगों को क्षतिग्रस्त संपत्ति के मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना पड़ सकता है। यह कदम इसलिए उठाने की तैयारी है ताकि विरोध प्रदर्शन के दौरान लोग ऐसा करने से बचे।
सरकार ने सन 2015 के अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा था। पर अभी इस पर विधेयक नही लाया गया है। आमतौर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान लोग सार्वजनिक संपत्ति को निशाना बनाते हैं।
सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी की है-
बहरहाल अगर ऐसा कोई विधेयक सरकार लाती है तो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर 5 साल तक जेल, जुर्माना दोनों हो सकते हैं। आगजनी या धमाके से तबाह करने पर 10 साल जेल का प्रावधान है। ऐसा भवन, सार्वजनिक संपत्ति होते हैं जिनका उपयोग जल, ऊर्जा, उत्पादन या वितरण में होता है। तेल संबंधी प्रतिष्ठा, सीवरेज, कारखाना, परिवहन, दूरसंचार भी सार्वजनिक संपत्ति है। सरकार देर से ही सही अगर ऐसा विधेयक लाती है तो तमाम दलों को दलगत भावना से ऊपर उठकर देशहित में समर्थन करना चाहिए। सरकार देश-प्रदेश में जिस किसी की हो-राज्य, केंद्र सरकार की तमाम उपरोक्त वर्णित सम्पत्तियों सार्वजनिक है। लिहाजा इनकी रक्षा- सुरक्षा करना प्रत्येक दल व संस्था का दायित्व भी है।