बिहार, सीएम का पद-रेत का घरौंदा, कसमें-वादे राजनीति में सब जायज ..!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल को त्यागपत्र देकर राजद, कांग्रेस और जदयू का महागठबंधन तोड़ दिया। फिर ठीक 6 घंटे बाद शाम 5 बजे बीजेपी के साथ गठबंधन कर एनडीए विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
Bihar Political : बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाए या नीतीश कुमार क्या कुछ कब कर बैठे कुछ कहा नहीं जा सकता। वहां मुख्यमंत्री की कुर्सी-बच्चों के बनाए रेत के घरोंदें सा हो गया। जब चाहे बनाया-दिल किया तो तोड़ दिया- फिर तुरंत बना लिया। रविवार पूर्वान्ह 11 बजे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल को त्यागपत्र देकर राजद, कांग्रेस, जदयू वाला महागठबंधन तोड़ दिया। फिर महज 6 घंटे बाद शाम 5 बजे भाजपा के साथ गठबंधन कर, एनडीए विधायक दल के नेता नेता चुने जाने के बाद, मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। वह भी देश में रिकॉर्ड 9 वीं बार। उधर ‘इंडिया’ महागठबंधन से भी अलग हो गए।
बिहार में 18 महीने से भी कम समय में महागठबंधन की सरकार-
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ बिहार में महागठबंधन की सरकार 18 माह को कम समय में रविवार को गिर गई। हालांकि चंद घंटे बाद नीतीश ने भाजपा से हाथ मिला दोबारा सरकार बना ली। जिसमें भाजपा की सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा उपमुख्यमंत्री बनाए गए है। 8 मंत्रियों ने भी शपथ ली है। शपथ बाद नीतीश ने कहा कि मैं उनके (एनडीए) साथ पहले भी था। बीच में रास्ते अलग हो गए थे। अब इधर-उधर जाने का सवाल नहीं है। मैं जहां था। वहां वापस आ गया हूं।
लालू यादव ने तेजस्वी की ताजपोशी का मन बना लिया था-
बहरहाल बिहार की ओर आ रही खबरों के मुताबिक लालू यादव ने तेजस्वी के ताजपोशी का मन बना लिया था। जदयू से 12 विधायकों को बर्खास्त करके उनकी मदद से तेजस्वी को सीएम बनाने की पटकथा लिखने की तैयारी थी। बर्खास्त विधायकों पर दल बदल कानून की धारा नही लगती। जिससे तेजस्वी सीएम बन सकते है। कहां जा रहा है कि इसकी भनक नीतीश कुमार को लग चुकी थी। इसी वजह से उन्होंने दिसंबर में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक ली। ललन को अध्यक्ष पर से हटाकर खुद कमान संभाल ली थी।
नीतीश कुमार ने ही महागठबंधन तोड़ा –
‘इंडिया’ महागठबंधन के प्रमुख सूत्रधार रहे नीतीश कुमार ने ही महागठबंधन तोड़ डाला। उन्होंने कहा कि वहां सब कुछ ठीक नही चल रहा था। इसलिए हमने डेढ़ साल पुराना गठबंधन छोड़ दिया। कुछ लोग जगह-जगह दावा कर रहे थे कि सब कुछ वही कर रहे हैं। उन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा, हमने गठबंधन कराने में इतना काम किया, लेकिन और कोई कुछ कर ही नहीं रहा था। इसलिए हमने बोलना छोड़ दिया था। उधर चर्चा है कि ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव तीनों ही नीतीश कुमार को ‘इंडिया’ गठबंधन का नेता नहीं देखना चाहते थे। मुंबई में ममता ने खड़गे का नाम अध्यक्ष के लिए पेश कर नीतीश को चौंका दिया था। जिससे नीतीश को पीएम पद के चेहरे के रूप में पेश की जाने की संभावना खत्म हो गई थी। इसलिए उन्होंने संयोजक पद ठुकरा दिया था। और फिर अपना आखिरी दांव चल बाजी ही पलट दी।
बिहार की राजनीति को देखकर लगता है कि लोगों को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है
खैर ! जो हो बिहार की राजनीति को देखते हुए लोकतंत्र पर भरोसा करने वालों को सोचना पड़ रहा है। आखिर राजनीति किस दिशा में जा रही है। नीतीश रिकॉर्ड 9 वीं सीएम बनने वाले पहले व्यक्ति हैं। 6 बार भाजपा के सहयोग से। 2 बार कांग्रेस,राजद के सहयोग एवं एक बार खुद बहुमत पाकर सीएम बने। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार राजद- जदयू के साथ रहने पर भाजपा को बिहार लोकसभा में घाटा उठाना पड़ता। इसलिए भाजपा ने नीतीश से (जदयू) हाथ मिला लिया। गत आमचुनाव (2019) बिहार की 40 सीटों में जदयू, भाजपा, लोजपा ने मिलकर लड़ा था। तथा 39 सीटें पाई थी। भाजपा 17, जदयू 16, लोजपा 06 सीटों पर जीती थी। चर्चा है कि भाजपा पुरानी स्थिति चाहती है। बिहार अति पिछड़ा वर्ग भाजपा के नजदीक है। पिछड़ा वर्ग भी कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने से नीतीश ऊहापोह की स्थिति में थे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे ने कहा है कि देश में आयाराम, गयाराम जैसे कई लोग हैं। हमें पहले से ही पता था। लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन को बरकरार रखने हमने कुछ नही कहा। पर इसकी जानकारी लालू यादव, तेजस्वी को पहले ही दी थी।
हालात बदल गए – टिप्पणियाँ बदल गईं –
बहरहाल राजनीति में सब कुछ जायज है। कोई किसी का दुश्मन नहीं होता यह फिर साबित हुआ। नीतीश कुमार ने करीब माह- डेढ़ माह पूर्व कहा था “मरना कबूल है, लेकिन भाजपा के साथ जाना कबूल नहीं ” भाजपा ने कहा था- नीतीश कुमार के लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। परिस्थिति बदली- कमेंट्स बदले – मैं जहां था वहां वापस आ गया हूं। तो उधर राजनीति में द्वार कभी पूरे बंद नहीं होते थोड़े खुले भी रहते हैं। बिहार में जदयू के साथ सरकार बनाते ही एनडीए (भाजपानीत) की देश के 17 राज्यों में या तो सीधे सत्ता है या गठबंधन के साथ।