Wrestling Controversy : सरकार से कार्रवाई की उम्मीद रखे हुए हैं, रेसलर एवं आमजनता

भारतीय कुश्ती महासंघ
Wrestling Controversy : कुश्ती, सिर्फ पारदर्शिता बची है। खिलाड़ियों ने स्पष्ट कर दिया है उनकी लड़ाई सरकार से न तो पहले थी न ही बाद में है बल्कि एक व्यक्ति (बृजभूषण) के विरुद्ध है।
रायपुर न्यूज : महीनों से जारी अखाड़े में कुश्ती थमने का नाम नहीं ले रही है। शह-मात की शतरंजी कुश्ती देश-दुनिया देख रही है। पर देखकर भी शायद अनदेखी करना सरकार के कथनों पर सवालिया निशान छोड़ती है। केंद्र में विराजमान भाजपानीत एनडीए सरकार अपने कार्य में अक्सर पारदर्शिता के नीति अपनाने की बात करती है। पर भारतीय कुश्ती संघ मसले पर उसके निर्णय धूल से भरा है। इस मामले में कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए। खेल-खिलाड़ी-देशहित में स्पष्ट पारदर्शिता तीनों के हित में रहेगी। खिलाड़ियों ने स्पष्ट कर दिया है उनकी लड़ाई सरकार से न तो पहले थी न ही बाद में है बल्कि एक व्यक्ति (बृजभूषण) के विरुद्ध है।
महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन शोषण का आरोप लगाया
कुश्ती संघ में जब विवाद सामने आया तब पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता उनका मुंह खुल जाएगा तो तूफान आ जाएगा। तब कर्नाटक विधानसभा चुनाव चल रहा था। महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। तब लगा था कि भाजपानीत एनडीए सरकार अगर बृजभूषण को पार्टी से निकालती है तो विपक्ष इसे चुनाव में मुद्दा बनाएगा। लिहाजा चुनाव होते तक पेंडिंग में रहा मुद्दा। बाद में थोड़े अंतराल उपरांत कुश्ती महासंघ भंग कर दिया गया। इस बीच पहलवानों ने अपना धरना स्थगित कर दिया। बहरहाल कुश्ती संघ के चुनाव की घोषणा बाद महिला पहलवानों ने अपना उम्मीदवार एक महिला को बनाया था।परंतु संघ में 12 साल अध्यक्ष रह चुके पहलवान बृजभूषण ने अपनी जड़े जमा ली थी। उन्होंने अपने करीबी को चुनाव लड़वाया। संजय अध्यक्ष चुने गए। जिसके साथ 13 अन्य पदाधिकारी, सदस्य भी उनके पैनल की थे। संजय सिंह के अध्यक्ष चुने जाते ही ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक ने पत्रकार वार्ता लेकर कहा कि- कुछ नहीं बदला। उसके पूर्व बृजभूषण टवीट किया था ” दबदबा पहले भी था- आगे भी रहेगा । यह कथन जले पर नमक सरीखा था “। साक्षी मलिक खून का आंसू बहाते हुए संन्यास की घोषणा कर देती है। वह अपने दस्ताने, मेज पर पत्रकार वार्ता के दौरान धर देती हैं। साथ ही अपने तमाम पदक वापस करने की घोषणा करती है। उनके साथ पुरुष पहलवान बजरंग पुनिया भी अपने पदक वापस करते हैं। सरकार थोड़े एक्शन में आती है और खेल मंत्रालय कुश्ती संघ चुनाव में बरती गई चूक, नई कार्यकारणी के द्वारा कोरम के बगैर सब जूनियर, जूनियर वर्ग की राष्ट्रीय स्पर्धा आयोजित करने,वह भी नंदिनीनगर यानी बृजभूषण के इलाके में, प्रभारी भी यौन उत्पीड़न का आरोपी बनाया गया। का हवाला देकर नई कुश्ती संघ को निलंबित कर देती है। तब महिला पहलवान इसका स्वागत करते हैं। साथ ही स्पष्ट की उनकी लड़ाई सरकार से न तो पहले थी न बाद में रहेगी। बल्कि एक व्यक्ति (बृजभूषण) के विरुद्ध है। इधर महिला पहलवान विनेश फोगाट ने भी अपने पदक वापस करने की घोषणा कर दी है। पीएम के लिखे पत्र में विनेश फोगाट नेकहा है -“महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो भोगा है उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट-घुटकर जी रही हैं। जो शोषण करने वाले आरोपी हैं (बृजभूषण) उसने भी दबदबा रहने की मुनादी कर दी है। आप पांच मिनट निकालकर उस आदमी के बयानों को सुन लीजिए।” उसमें कितनी महिला पहलवानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
मामला इस समय से कोर्ट में
बहरहाल मामला आरोप के समय से कोर्ट में है। पुलिस जांच कर रही है। उसने दस्तावेज सबूत, गवाह न्यायालय में प्रस्तुत किया है। आरोपी बृजभूषण नियमित जमानत पर है। इस बीच चुनाव के नतीजे उस पर अपनी टिप्पणी-महिला पहलवानों एवं साथी पहलवानों को उकसाने वाली है। फिर खेल मंत्रालय द्वारा कार्रवाई उपरांत बृजभूषण का यह कहना उनका अब कुश्ती से कोई लेना-देना नहीं है। 12 वर्ष अध्यक्ष रहा-अच्छा किया या बुरा समय बताएगा। एक तरह की शतरंजी या राजनीतिक चाल लिया बयान है।
पहलवानों के धरना प्रदर्शन के वक्त कई खेलों एवं क्षेत्रों के लोगों ने उन्हें अपना समर्थन दिया
गौरतलब हो कि पहलवानों के धरना प्रदर्शन के वक्त कई खेलों एवं क्षेत्रों के लोगों ने उन्हें अपना समर्थन दिया था। नामी-गिरामी महिला-पुरुष पहलवानों के द्वारा स्पष्ट तौर पर आरोप लगाना, सारी दुनिया की खेल क्षेत्र की निगाहें इस पर हैं- फिलहाल सरकार अपने स्तर पर आरोपी एवं उनके निकटवर्तियों के चुनाव लड़ने पर फैसला आने तक रोक लगा सकती है। फिर भले आरोपी पक्ष कोर्ट जाए। दूसरा महिला को अध्यक्ष बनाने की मांग। तो पीटी उषा से अच्छा उम्मीदवार शायद मिले। तीसरा आरोप संगीन है। लिहाजा पार्टी उन्हें कोर्ट फैसला आते तक निलंबित कर सकती है। सरकार को यहां पारदर्शिता स्पष्ट तौर पर अपनाई चाहिए। आम वर्ग पीएम की ओर उम्मीद लगाए हुए हैं।