संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि चुनाव आयोग के निर्देश पर सीएमएचओ कार्यालयों ने स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी क्रमशः 26-27 अक्टूबर को लगाने के बाद 8 व 9 नवंबर को ट्रेनिंग, 15 से 18 नवंबर तक मतदान कार्य हेतु ड्यूटी लगाई गई है। 6 दिन ड्यूटी हैं।
संगठन ने स्वास्थ्य सेवा को अत्यावश्यक सेवा का हवाला देकर आयोग से एतराज दर्ज कराते हुए आग्रह किया गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों से चुनावी ड्यूटी न कराए। अन्यथा स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो जाएगी। इलाज कौन करेगा। वैसे भी स्वास्थ्य कर्मियों की पारी आधार पर 24 घंटे की ड्यूटी रहती है। ऐसे में चुनावी ड्यूटी लगा देने से जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होगी। उधर सीएमएचओ का कहना है कि ततसंबंध में जिला निर्वाचन कार्यालय के पत्र लिखकर आग्रह किया गया है। कि सिर्फ क्लर्को की ड्यूटी लगाए। शेष कर्मियों की नहीं। बहरहाल नाम ना छापने की शर्त पर संगठन के लोगों ने बताया है कि वन विभाग, पी डब्लू डी, सिंचाई विभाग, विद्युत विभाग,आदि के कर्मियों की ड्यूटी नहीं लगाई जाती। जबकि इन विभागों के 50 से 60 प्रतिशत कर्मचारी, अधिकारी चुनाव के दौरान एक तरह से खाली-पीली घूमते हैं या कार्यालय में बैठे रहते हैं। उपरोक्त विभाग के कई सारे कर्मचारियों को तो पूरे सेवा काल में एक चुनावी ड्यूटी नहीं लगाई जाती। जबकि वह सब गंभीर कार्य कर सकते हैं।
(लेखक डॉ. विजय )