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Amalaki Ekadashi 2024: जानिए आमलकी एकादशी पूजा-विधि, सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाली व्रत कथा

Amalaki Ekadashi 2024:

Amalaki Ekadashi 2024:

Amalaki Ekadashi 2024: आमलकी एकादशी के व्रत के प्रभाव से साधक जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और विष्णु लोक को प्राप्त करता है।आमलकी एकादशी का व्रत करने से एक हजार गायों के फल के बराबर पुण्य मिलता है। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

Amalaki Ekadashi 2024: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी 20 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। वैसे तो यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है और साथ ही देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।आमलकी एकादशी के व्रत के प्रभाव से साधक जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और विष्णु लोक को प्राप्त करता है।आमलकी एकादशी का व्रत करने से एक हजार गायों के फल के बराबर पुण्य मिलता है। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा मुहूर्त – सुबह 06.25 – सुबह 09.27

व्रत पारण – 21 मार्च 2024, दोपहर 01.41 – शाम 04.07

Amalaki Ekadashi 2024: आमलकी एकादशी कब है, जानें सही डेट, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व | When is Amalaki Ekadashi 2024 Date Puja Vidhi Shubh Muhurat and Mahatva | TV9 Bharatvarsh

व्रत पूजन विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत का संकल्प करें। फिर इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा की तैयारी करें। थाली में हल्दी, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, पुष्प (पीले फूल) आदि तैयार कर लें। पाटे में पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और विष्णु चालीसा, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। भगवान विष्णु की आरती करें और एकादशी का पाठ करें। नारियल, केला और मौसमी फल चढ़ाएं। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को आंवले का फल अर्पित करें। इस दिन आंवले के वृक्ष की धूप, दीप, चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत आदि से पूजा करके उसकी परिक्रमा करनी चाहिए और उसके नीचे किसी ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए। व्रत के दूसरे दिन व्रत खोलते समय ब्राह्मण को आवश्यकतानुसार दान अवश्य दें।

पुण्य प्राप्ति के लिए आंवले के पेड़ का पूजा करें

आमलकी एकादशी के दिन रात के समय आंवले के पेड़ के पास जाकर वहां दीपक जलानी चाहिए और रात्रि जागरण करते हुए हरि कीर्तन करना चाहिए। इससे मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है और उसे हजारों गोदानों और यज्ञों का फल मिलता है। इस दिन आंवले के पेड़ को छूकर परिक्रमा करें और संभव हो तो उसके नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ऐसा करने से सभी तीर्थों में जाने और सभी प्रकार के दान देने जैसा पुण्य प्राप्त से भी अधिक फल मिलता है।

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आमलकी व्रत कथा

प्राचीन काल में वैदिक नामक एक नगर था। यहां चैत्ररथ नाम का चंद्रवंशी राजा राज्य करता था। नगर में ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, शूद्र चारों वर्णों के लोग सुखपूर्वक रहते थे। नगर में सदैव वेदध्वनि गूँजती रहती थी। इस नगर में सभी लोग विष्णु भक्त थे और एकादशी का व्रत रखते थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी आने पर सभी लोग पूजा और कथा करके रात्रि जागरण करने लगे, तभी वहां एक शिकारी भी आया, जो बड़ा पापी और दुराचारी था। भगवान विष्णु की कथा और एकादशी का माहात्म्य सुनने लगा। इस प्रकार बहेलिए ने अन्य लोगों के साथ जागकर जागते-जागते सारी रात बिता दी। अगले दिन वह घर गया, खाना खाया और सो गया। कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई। शिकारी के अनेक पापों के कारण उसे नर्क का भागी होना पड़ता, लेकिन अनजाने में किये गये आमलकी एकादशी व्रत के फलस्वरूप उसने अगला जन्म राजा विदुरथ के घर में लिया। उसका नाम वसुरथ रखा। वसुरथ ने भी भगवान विष्णु की पूजा की। एक दिन वह जंगल में रास्ता भटक गया। वहीं एक पेड़ के नीचे सो गये। उन पर कुछ डाकुओं ने हमला किया लेकिन इन डाकुओं के हथियारों का राजा पर कोई असर नहीं हुआ। कुछ समय बाद, राजा वसुरथ के शरीर से एक दिव्य देवी प्रकट हुईं और उन्होंने सभी डाकुओं को मार डाला और राजा बच गया।जब राजा नींद से जागे तो उन्होंने देखा कि बड़ी संख्या में लोग मरे हुए हैं, तभी आकाशवाणी हुई कि भगवान विष्णु ने उनकी रक्षा की है। कथा के अनुसार यह सब आमलकी एकादशी के व्रत का प्रभाव था, जो व्यक्ति एक भी आमलकी एकादशी का व्रत करता है, वह प्रत्येक कार्य में सफल होता है और अंततः वैकुंठ धाम को प्राप्त करता है। इस व्रत से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति को समृद्धि, धन और खुशहाली प्रदान करती हैं।

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