Women Safety: मुंबई-कोहिमा सेफेस्ट सिटी, NARI रिपोर्ट ने चौंकाया

NARI रिपोर्ट 2025 के अनुसार, कोहिमा, विशाखापट्टनम और गंगटोक महिलाओं के लिए देश के सबसे सुरक्षित शहर। पटना और दिल्ली सबसे असुरक्षित।
NMC women Safety Index: नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वुमेंस सेफ्टी (NARI) 2025 में भारत के 31 प्रमुख शहरों की महिला सुरक्षा को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोहिमा, विशाखापट्टनम, गंगटोक, ईटानगर, आइजोल, भुवनेश्वर और मुंबई को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर बताया गया है। जबकि, पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर और रांची महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर माने गए।
सुरक्षा के मानक: क्यों सुरक्षित हैं ये शहर?
NARI-रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षित शहरों में महिलाओं को बेहतर नागरिक अधिकार, समानता, पुलिस सहयोग और फीमेल-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर मिल रहा है। जबकि, असुरक्षित शहरों में इन मानकों की गंभीर कमी देखी गई है।
सर्वेक्षण का आधार
NARI-रिपोर्ट ने 31 शहरों की 12,770 महिलाओं पर आधारित है। महिलाओं से उनकी सुरक्षा, उत्पीड़न के अनुभव और पुलिस की विश्वसनीयता जैसे कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NMC) की अध्यक्ष विजया राहटकर ने गहन अध्यन के बाद यह यह रिपोर्ट जारी की है।
वर्किंग प्लेस सेफ, पब्लिक ट्रांसपोर्ट असुरक्षित
NARI-रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल 91% महिलाओं ने कार्यस्थल यानी दफ्तर को सबसे सुरक्षित बताया है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट खासकर सिटी बस, ऑटो कैब को सबसे असुरक्षित माना। 86% छात्राएं दिन में तो कॉलेजों में सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन रात में उन्हें डर सताने लगता है। 40% महिलाओं ने अपने शहर को ‘कम सुरक्षित’ या ‘असुरक्षित’ माना।
उत्पीड़न पर चुप्पी: शिकायत नहीं करतीं महिलाएं
ARI-रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में शामिल 7% महिलाओं ने ही 2024 में पब्लिक प्लेस पर उत्पीड़न की बात कही। 24 साल से कम उम्र की लड़कियों में उत्पीड़न का आंकड़ा 14% रहा। इनमें से 29% ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट और 38% ने आस-पड़ोस को सबसे ज्यादा असुरक्षित जगह बताया। हालांकि, ज्यादातर ने शिकायत से इनकार किया। सर्वे के मुताबिक, केवल 1/3 महिलाएं ही शिकायत करती हैं। इससे NCRB के आंकड़े अधूरे रह जाते हैं।
एक-चौथाई महिलाओं को सिस्टम पर भरोसा नहीं
सर्वे में शामिल 69% ने वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था को कुछ हद तक पर्याप्त बताया। लेकिन 30% से ज़्यादा ने इसमें तमाम खामियां गिनाईं। केवल 65% ने 2023-2024 के दौरान वास्तविक सुधार की उम्मीद जताई। एक-चौथाई महिलाओं ने कहा, उन्हें शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होती।
कम उम्र की महिलाएं ज्यादा असुरक्षित
रिपोर्ट के मुताबिक, कम उम्र की महिलाएं/लड़कियां अपेक्षाकृत ज्यादा असुरक्षति हैं। सर्वे में शामिल 7 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। लेकिन 24 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में यह आँकड़ा लगभग दोगुना यानी 14% है।
POSH नीति की जानकारी नहीं
91% महिलाओं ने सुरक्षा की बात स्वीकारी, लेकिन ज्यादातर को POSH (यौन उत्पीड़न निवारण) नीति की जानकारी नहीं है। जिन्हें यह जानकारी है, उन्होंने इसे प्रभावी कदम बताया।