प्रदेश में किस बेदर्दी से बाघों का किया जा रहा है शिकार : वन अमले की लापरवाहियां नहीं हो रही है कम

कोंडागांव। नारायणपुर जिले में पुलिस ने बाघ की खाल, नाखून और दांत के साथ 4 शिकारियों को पकड़कर पूछताछ की तब पता चला कि टाइगर रिज़र्व से भटक कर कोंडागांव की ओर चले आये बाघ को शिकारियों ने तीर चलाकर मार डाला और और उसका मांस आपस में बांट कर खा लिया। इधर वन अमले को यह देखने की फुर्सत ही नहीं है कि उनके इलाके में रह रहे बाघ सुरक्षित बचे भी हैं या नहीं।
गोपनीय सूचना पर पहुंची थी पुलिस
पुलिस को सूचना मिली थी कि टेमरू गांव के नजदीक कुछ लोग बाघ की खाल बेचने के लिए ग्राहक की तलाश कर रहे हैं। पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो उन्हें देखकर सभी युवक भागने लगे। जिसके बाद चारों को पकड़कर थाने लाया गया। आरोपियों का नाम कारूराम गोटा (28), सोनू राम (41), देउराम उसेंडी (40), लखमु ध्रुव (35) है। सभी नारायणपुर जिले के ओरछा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। पूछताछ में युवकों ने बताया कि बाघ का शिकार करने के बाद से वे खाल बेचने के लिए ग्राहक की तलाश में जुटे हुए थे। इसी कड़ी में बयानार इलाके में इन्हें ग्राहक ढूंढते हुए पुलिस ने पकड़ लिया।
पेट में तीर लगा और काम तमाम…
शिकारियों ने पुलिस को बताया कि, गांव के जंगल में बाघ होने की खबर उन्हें मिली थी। फिर उसे मारने की प्लानिंग की गई। जिसके बाद वे हर दिन बाघ को ढूंढने के लिए जंगल जाते थे। फिर एक दिन शाम के समय बाघ नजर आ गया। उसके ऊपर करीब 3 से 4 बार तीर से हमला किया गया। एक तीर पेट पर लगा, जिससे बाघ की मौत हो गई। बाघ के शिकार के बाद इन्होने खाल, दांत और नाखून निकाली और उसके मांस को पकाकर सभी शिकारी खा गए।
इंद्रावती टाइगर रिजर्व से आया था बाघ
बस्तर इलाके में लगातार यह दूसरे बाघ का शिकार है। इससे पहले बीजापुर जिले के एक गांव में शिकारियों ने इंद्रावती टाइगर रिजर्व में ही एक बाघ को मार दिया था। अब जिस बाघ का शिकार किया गया है वह भी इंद्रावती टाइगर रिजर्व का ही बताया जा रहा है। जो भटककर नारायणपुर के जंगल में पहुंच गया था।
क्या कर रहा है वन अमला..?
प्रदेश में छोटे-मोटे जानवरों के अलावा गिनती के बचे बाघों का भी शिकार हो रहा है, यह गंभीर बात है। छत्तीसगढ़ में कुछेक टाइगर रिज़र्व हैं जहां रहने वाले बाघ अक्सर आसपास के इलाकों में भी चले जाते हैं, संबंधित वन अमले की यह जिम्मेदारी होती है कि वह बाघ को ट्रैक करता रहे। पिछले कुछ महीनों में जिन बाघों को मारा गया है, उनके बारे में कभी भी वन अमले की ओर से यह जानकारी नहीं आयी कि बाघ गायब हुए हैं। जो बाघ भटक कर नारायणपुर की ओर आया उस इलाके के वन अमले को भी बाघ के विचरण करने की जानकारी होगी, मगर संभवतः वन अमले ने लापरवाही की और बाघ का शिकार हो गया।
वन विभाग की लापरवाहियों का ही नतीजा है कि विलुप्त हो रहे बाघ और अन्य जंगली जानवरो का बड़े पैमाने पर शिकार हो रहा है। प्रदेश के जिम्मेदार वन अधिकारियों को इस ओर ध्यान देते हुए अपने अमले को दुरुस्त करने की जरुरत है, अन्यथा बाघ जैसे जानवर प्रदेश में कहानी बनकर रह जायेंगे।