‘आपने 82 साल के वरिष्ठ नेता का अपमान किया’, जेपी नड्डा पर क्यों भड़क उठीं प्रियंका गांधी?
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जमकर आलोचना की है। दरअसल गुरुवार को जेपी नड्डा ने गांधी परिवार और कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधा था। प्रियंका गांधी ने लिखा कि बयासी बरस के एक वरिष्ठ जननेता का निरादर करने की आखिर क्या जरूरत थी? लोकतंत्र की परंपरा और संस्कृति प्रश्न पूछने और संवाद करने की होती है।
नई दिल्ली। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर निशाना साधा है। दरअसल, गुरुवार को जेपी नड्डा ने गांधी परिवार और कांग्रेस नेताओं की जमकर आलोचना की थी।
बता दें कि भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देश का सबसे बड़ा आतंकवादी बताया था। इस मामले पर मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था। खरगे द्वारा पत्र लिखे जाने पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की थी। अब जेपी नड्डा के बयान पर प्रियंका गांधी की हमला बोला है।
जेपी नड्डा के पत्र पर प्रियंका गांधी हुईं नाराज
प्रियंका गांधी ने एक्स पर लिखा,”कुछेक भाजपा नेताओं और मंत्रियों की अनर्गल और हिंसक बयानबाज़ी के मद्देनजर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जीवन की सुरक्षा के लिए चिंतित होकर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री मल्लिकार्जुन खरगे जी ने प्रधानमंत्री जी को एक पत्र लिखा।”
जेपी नड्डा ने किया मल्लिकार्जुन खरगे का निरादर: प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने आगे कहा,”प्रधानमंत्री जी की आस्था अगर लोकतांत्रिक मूल्यों, बराबरी के संवाद और बुज़ुर्गों के सम्मान में होती तो इस पत्र का जवाब वह खुद देते। इसकी बजाय उन्होंने नड्डा जी की ओर से एक हीनतर और आक्रामक किस्म का जवाब लिखवा कर भिजवा दिया।”
बयासी बरस के एक वरिष्ठ जननेता का निरादर करने की आखिर क्या जरूरत थी? लोकतंत्र की परंपरा और संस्कृति, प्रश्न पूछने और संवाद करने की होती है। धर्म में भी गरिमा और शिष्टाचार जैसे मूल्यों से ऊपर कोई नहीं होता।
प्रधानमंत्री को देना चाहिए था जवाब: प्रियंका गांधी
उन्होंने आगे कहा कि आज की राजनीति में बहुत जहर घुल चुका है, प्रधानमंत्री जी को अपने पद की गरिमा रखते हुए, सचमुच एक अलग मिसाल रखनी चाहिए थी। अपने एक वरिष्ठ सहकर्मी राजनेता के पत्र का आदरपूर्वक जवाब दे देते तो जनता की नजर में उन्हीं की छवि और गरिमा बढ़ती। यह अफसोस की बात है कि सरकार के ऊंचे से ऊंचे पदों पर आसीन हमारे नेताओं ने इन महान परंपराओं को नकार दिया है।